भारतीय सेना ऑपरेशन सिंदूर के तहत 40,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीद कर रही है। इसमें ड्रोन, मिसाइलें और गोला-बारूद शामिल हैं। यह खरीद आपातकालीन प्रावधानों के तहत की जा रही है।
Operation Sindoor: भारत की सेनाएं ऑपरेशन सिंदूर के तहत लड़ाई की तैयारियों बढ़ाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए की आपातकालीन खरीद करने के लिए तैयार हैं। सीनियर डिफेंस और सैन्य अधिकारियों के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने आवश्यक उपकरणों के जल्द खरीद के लिए इसकी मंजूरी दी है।
आपातकालीन प्रावधानों के तहत निगरानी ड्रोन, कामिकेज ड्रोन, लोइटरिंग म्यूनिशन और कई तरह की मिसाइलें और गोला-बारूद की खरीद की जा रही है। इनमें से कुछ हथियार जैसे ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइल पहले ही पाकिस्तानी टारगेट के खिलाफ हमलों में इस्तेमाल किए जा चुके हैं। ऑपरेशन के दौरान तैनात रैम्पेज मिसाइल को भी मूल रूप से इसी तरह के आपातकालीन खरीद उपायों के माध्यम से हासिल किया गया था।
क्या है आपातकालीन रक्षा खरीद शक्ति?
आपातकालीन रक्षा खरीद शक्तियां भारत सरकार ने सेनाओं को दी हैं। इससे वे खरीद के लिए जरूरी मानक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर तत्काल जरूरत वाले हथियार और उपकरण ले सकते हैं। इससे सेना को हथियार और उपकरण आमतौर पर 3 से 6 महीने में मिल जाते हैं।
इस तरह खरीदने के लिए खर्च की सीमा तय है। इमरजेंसी खरीद की शक्ति का इस्तेमाल संघर्ष, बढ़े हुए तनाव या प्राकृतिक आपदाओं के समय किया जाता है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या आयुध कारखानों द्वारा पूर्व में आपूर्ति की गई वस्तुओं के लिए सरकार पूर्ण अनुबंध को अंतिम रूप देने से पहले खरीद में तेजी लाने के लिए आशय पत्र (LoI) जारी कर सकती है।
निगरानी बनाए रखने के लिए रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक उच्च स्तरीय समिति प्रमुख अनुबंधों में अनियमितताओं के खिलाफ नियमों और सुरक्षा उपायों के अनुपालन की निगरानी करती है। ये इमरजेंसी पावर एक सख्त समय सीमा के भीतर उपकरणों की डिलीवरी सुनिश्चित करती हैं।