India Pakistan Tensions: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत अधिक बढ़ गया है। ऐसे में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना को बुलाने का अधिकार दिया है। प्रादेशिक सेना के 32 पैदल बटालियन हैं। इनमें से 14 को दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण पश्चिमी, अंडमान और निकोबार और सेना प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) सहित विभिन्न कमांडों में तैनाती के लिए मंजूरी दी गई है।
प्रादेशिक सेना क्या है?
भारत की प्रादेशिक सेना (TA) एक महत्वपूर्ण सैन्य रिजर्व बल है। यह अंशकालिक स्वयंसेवकों से बना है। प्रादेशिक सेना नियमित सेना के लिए पूरक बल के रूप में काम करती है। प्रादेशिक सेना में अधिकारी, जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी, गैर-कमीशन अधिकारी और अन्य रैंक के लोग होते हैं। वे भारतीय सेना के समान सैन्य रैंक रखते हैं। इसके साथ ही अपना नागरिक काम भी करते रहते हैं।
प्रादेशिक सेना की बनावट और ताकत
- प्रादेशिक सेना में 40,000 से अधिक जवान हैं। ये 32 पैदल सेना बटालियनों और विभिन्न इंजीनियर व विभागीय इकाइयों में संगठित हैं।
- इन इकाइयों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs), भारतीय रेलवे के कर्मचारी, पूर्व सैनिक और निजी तौर पर काम कर रहे नागरिक शामिल हैं।
- इस बल को 'टेरियर्स' उपनाम दिया गया है। यह 'सावधानी व शूरता' के आदर्श वाक्य के तहत कार्य करता है।
- प्रादेशिक सेना की कमान प्रादेशिक सेना के महानिदेशक, भारतीय सेना से प्रतिनियुक्त एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी के पास होती है। यह रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग के माध्यम से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अधीन आता है।
क्या है प्रादेशिक सेना का काम?
नियमित सेना को स्थिर और गैर-लड़ाकू कर्तव्यों से मुक्त करना: जरूरत पड़ने पर प्रादेशिक सेना के जवान महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, बुनियादी ढांचे और सीमाओं की रखवाली करते हैं। इससे नियमित सेना अपनी पूरी ताकत जंग के मैदान में लगाती है।
नियमित सेना को जरूरत पड़ने पर इकाइयां और जवान देना: प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948 के तहत टीए कर्मियों को नियमित बलों का साथ देने के लिए शामिल किया जा सकता है। उन्हें पूर्णकालिक सैन्य सेवा के लिए बुलाया जा सकता है। राष्ट्रीय आपातकाल, आंतरिक सुरक्षा संकट या युद्ध के दौरान सरकार या सेना प्रमुख इसके लिए आदेश देते हैं। ऐसे में टीए इकाइयां नियमित सैनिकों के साथ काम करती हैं। कभी-कभी सीधे नियमित सेना इकाइयों से भी जुड़ी होती हैं। इससे ऑपरेशन के लिए उपलब्ध सैन्य शक्ति में वृद्धि होती है।
आतंकवाद विरोधी और आंतरिक सुरक्षा अभियानों में तैनाती: 1990 के दशक की शुरुआत से टीए इकाइयों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात किया गया है।