Congress President Mallikarjun Kharge ने Pahalgam Terror Attack, Operation Sindoor और Washington DC से Ceasefire Announcement को लेकर संसद का Special Session बुलाने की मांग की। US Intervention और Shimla Agreement पर भी उठे सवाल।

Special Parliament Session: राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने यह मांग विपक्ष की सर्वसम्मति से उठाई है ताकि पहलगाम आतंकी हमला (Pahalgam Terror Attack), ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और अमेरिका से शुरू हुए भारत-पाकिस्तान युद्धविराम (India Pakistan Ceasefire) के मुद्दों पर खुली चर्चा हो सके।

X पोस्ट में खड़गे ने उठाए अहम सवाल

खड़गे ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि पीएम मोदी को मेरा पत्र जिसमें मैंने संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है ताकि पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और वॉशिंगटन डीसी से शुरू होकर भारत और पाकिस्तान द्वारा घोषित सीजफायर की घोषणा पर चर्चा हो सके।

कांग्रेस ने उठाया अमेरिकी हस्तक्षेप का मुद्दा

कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने भी प्रेस से बातचीत में मांग की कि प्रधानमंत्री संसद में स्पष्ट करें कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत-पाक के बीच सीजफायर की घोषणा की और अमेरिका दोनों देशों को समान स्तर पर रखकर बातें कर रहा है। उन्होंने कहा कि PM को संसद बुलाकर यह बताना चाहिए कि सीजफायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने कैसे की? अमेरिका भारत और पाकिस्तान को एक ही स्तर पर क्यों रख रहा है? यह देश के आंतरिक मामलों में दखल है।

क्या शिमला समझौता खत्म हो गया है?

सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल किया कि क्या अब शिमला समझौता (Shimla Agreement) खत्म हो गया है? अमेरिका कह रहा है कि भारत और पाकिस्तान किसी तटस्थ जगह पर मिलेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति कहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूंगा। लेकिन कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हम किसी को इसमें हस्तक्षेप नहीं करने देंगे।

विपक्ष ने मोदी सरकार से मांगा जवाब

कांग्रेस ने केंद्र सरकार और भाजपा से साफ तौर पर पूछा है कि अमेरिका जैसे देश भारत के आंतरिक मामलों में दखल कैसे दे रहे हैं और सरकार इस पर चुप क्यों है। विपक्ष चाहता है कि इन अहम मुद्दों पर संसद में सीधी बहस हो।