सार

Operation Sindoor: 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम खुद में गहरे दर्द का प्रतीक है, जो उन महिलाओं के शोक को दर्शाता है, जिन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले में अपने पतियों को खो दिया। 

Operation Sindoor: 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम अपने आप में बेहद भावुक और गहरा है। ये शब्द उस दर्द को बयां करता है जिन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले में अपने सुहाग को हमेशा के लिए खो दिया। सिंदूर हिंदू विवाहित महिलाएं अपने बालों की मांग में लगाती हैं और अब यही सिंदूर पूरे देश के लिए शोक का प्रतीक बन गया है। पहलगाम हमले में अपन पति को खोने वाली इन वीरांगनाओं ने अपना सिंदूर चुपचाप नहीं, बल्कि पूरे देश के गुस्से और दुख के साथ सार्वजनिक रूप से मिटाया।

अब ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए करारा जवाब देकर भारत ने अपने नागरिकों की खासकर उन महिलाओं की गरिमा को फिर से स्थापित किया जिन्होंने अपने जीवनसाथियों को खोकर शांति की कीमत चुकाई थी।

हिमांशी नारवाल

लेफ्टिनेंट विनय नारवाल की हिमांशी नारवाल ने पहलगाम हमले में उनके पति की पहलगाम हमले में हत्या हो गई थी। विनय हरियाणा से थे और भारतीय नौसेना में 26 साल के युवा अफसर थे। वे अपनी शादी के बाद हनीमून पर पहलगाम गए थे जहां आतंकवादी हमले में उनकी जान चली गई। दोनों ने 16 अप्रैल 2025 को शादी की थी और सिर्फ एक हफ्ते बाद यह दुखद हादसा हो गया। अपने पति को खोने के बाद पहली बार बोलते हुए हिमांशी ने शांति की अपील की और लोगों से कहा, "किसी के प्रति नफरत नहीं होनी चाहिए।"

ऐशान्या द्विवेदी

ऐशान्या द्विवेदी, शुभम द्विवेदी की पत्नी हैं। दोनों उत्तर प्रदेश से पहलगाम घूमने आए थे। 22 अप्रैल को हुए हमले में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों की शादी को सिर्फ दो महीने ही हुए थे।

शीतल

शीतल, शैलेश कलाठिया की पत्नी हैं। वह गुजरात के एक बैंक में कर्मचारी थे। अपने जन्मदिन की खुशी में वह परिवार के साथ पहलगाम घूमने गए थे। जब आतंकियों ने हमला किया, उस वक्त शीतल अपने पति और दो बच्चोंएके साथ वहां घास के मैदान में मौजूद थीं।

सोहिनी

सोहिनी, बिटन अधिकारी की पत्नी हैं जो कोलकाता के एक आईटी प्रोफेशनल थे। वे अमेरिका में काम कर रहे थे और छुट्टियों में भारत आए थे। सोहिनी और बिटन अपने साढ़े तीन साल के बेटे ऋदान के साथ कश्मीर घूमने गए थे। 22 अप्रैल को जब वे लोग पहलगाम की खूबसूरत वादी में घूम रहे थे तभी आतंकियों ने हमला कर दिया और बिटन की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

काजलबेन

काजलबेन के पति यतीशभाई परमार भावनगर, गुजरात में एक सैलून चलाते थे। वे अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने आए थे। पहले उन्होंने श्रीनगर में आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू की राम कथा में हिस्सा लिया, फिर पहलगाम गए, जहां उनकी यात्रा एक दर्दनाक हादसे में बदल गई।

प्रगति जगदाले

प्रगति जगदाले महाराष्ट्र के संतोष जगदाले की पत्नी हैं, जो 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में मारे गए। जगदाले परिवार पुणे से है। प्रगति की एक छोटी बेटी असावरी है, जो अब अपने पिता के बिना जीवन जीने को मजबूर है।

शिला रामचंद्रन

शिला रामचंद्रन अपने पति एन रामचंद्रन के साथ पहलगाम घूमने आए थे। एन रामचंद्रन को उनकी बेटी बेटी और पोते-पोतियों के सामने गोली मार दी गई। शिला स्वास्थ्य कारणों से इस यात्रा में उनके साथ नहीं गई थीं।

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जेनिफर नाथनियल

जेनिफर नाथनियल अपने पति सुशील नाथनियल के साथ कश्मीर में थी। सुशील इंदौर में LIC के शाखा प्रबंधक थे। वे अपनी पत्नी का जन्मदिन मनाने कश्मीर गए थे। जब आतंकवादी उनके पास पहुंचे, तो सुशील ने बहादुरी से अपनी पत्नी को छिपने के लिए कहा और खुद आतंकवादियों का सामना किया।

जया मिश्रा

जया मिश्रा मनीष रंजन मिश्रा की पत्नी हैं, जो 42 साल के इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी थे। मनीष अपनी फैमिली के साथ कश्मीर छुट्टियां मनाने गए थे लेकिन पहलगाम में आतंकवादियों ने उन्हें उनके परिवार के सामने मार डाला।

 

इन महिलाओं ने पहलगाम के बैसरन में जो दर्द झेला उसकी कल्पना हम नहीं कर सकते। उन वीरांगनाओं का दुख शायद कभी कम न हो, लेकिन 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने उनके गुस्से को शांत किया और पाकिस्तान के आतंकवादियों से उनका बदला लेकर उन्हें करारा जवाब दिया।