Justice AS Oka Farewell Speech: सुप्रीम कोर्ट के जज एएस ओका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ‘मुख्य न्यायाधीश केंद्रित’ है, जबकि हाई कोर्ट ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि CJI बीआर गवई के नेतृत्व में इसमें बदलाव आ सकता है।

Justice AS Oka farewell speech: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एएस ओका (Justice AS Oka) ने अपने अंतिम वर्किंग डे पर न्यायपालिका के भीतर बड़े बदलाव की जरूरत को रेखांकित किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित फेयरवेल कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब भी मुख्य न्यायाधीश केंद्रित (CJI-Centric) सिस्टम पर काम करता है, जबकि उच्च न्यायालय (High Courts) अधिक लोकतांत्रिक ढंग से कार्य करते हैं।

'हाई कोर्ट्स ज्यादा लोकतांत्रिक, सुप्रीम कोर्ट में बदलाव जरूरी'

जस्टिस ओका ने कहा कि हाई कोर्ट्स में निर्णय समिति प्रणाली (committee-based functioning) से होते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट अभी भी मुख्य न्यायाधीश केंद्रित बना हुआ है। यह प्रणाली अब बदलनी चाहिए। न्यायपालिका के शीर्ष स्तर पर सुधार की गुंजाइश वाले अन्य क्षेत्रों की ओर इशारा करते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने ट्रायल कोर्ट की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि हमारे ट्रायल और जिला न्यायालयों में बहुत अधिक मामले लंबित हैं, ट्रायल कोर्ट को कभी भी अधीनस्थ न्यायालय न कहें। यह संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है। अपीलें 25 वर्षों से लंबित हैं। इलाहाबाद जैसी अदालतें आधी संख्या में काम कर रही हैं। 20 वर्षों के बाद किसी को दंडित करना कठिन काम है।

नए CJI गवई से जताई उम्मीद

जस्टिस ओका ने संकेत दिए कि यह बदलाव वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) के नेतृत्व में संभव है। जस्टिस ओका ने कहा कि संजय खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) ने पारदर्शिता के मार्ग पर हमें आगे बढ़ाया। जस्टिस गवई के अंदर लोकतांत्रिक मूल्य खून में बसे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में पारदर्शिता और लोकतंत्र की ओर इशारा

जस्टिस ओका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय न्यायपालिका को लेकर पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यप्रणाली में सुधार की बहस तेज़ है। उनके बयान को सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक संरचना में बदलाव की एक ईमानदार स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है।

CJI गवई का कार्यकाल नवंबर तक

नए चीफ जस्टिस बीआर गवई हाल ही में पदभार ग्रहण कर चुके हैं और उनका कार्यकाल नवंबर तक रहेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली में 'डेमोक्रेटिक अप्रोच' अपनाई जाएगी।