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भारत के कितने सड़क पर उतर सकते हैं लड़ाकू विमान, क्यों है यह क्षमता खास, क्या पाकिस्तान के पास है ये ताकत?

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेसवे पर इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों ने लैंडिंग-टेकऑफ की ताकत दिखाई है। यह पाकिस्तान से 1000km दूर है। वायुसेना के विमानों ने गंगा एक्सप्रेसवे के 3.5 किलोमीटर लंबे हिस्से पर "लैंड एंड गो" अभ्यास किया।

Vivek Kumar | Updated : May 03 2025, 02:13 PM
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क्यों खास है गंगा एक्सप्रेसवे?
Image Credit : ANI

क्यों खास है गंगा एक्सप्रेसवे?

इस टेस्ट में राफेल, Su-30 MKI, मिराज-2000, मिग-29, जगुआर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस, AN-32 और MI-17 V5 हेलीकॉप्टर समेत कई विमानों ने हिस्सा लिया। टेस्ट के दौरान विमानों ने दिन और रात दोनों समय लैंडिंग और टेकऑफ किया।

गंगा एक्सप्रेसवे पर लड़ाकू विमान दिन और रात दोनों समय उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। यह भारत में अपनी तरह की पहली हवाई पट्टी है। अब तक, लखनऊ-आगरा और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर इसी तरह की इमरजेंसी लैंडिंग टेस्ट किए गए थे, लेकिन यहां दिन के समय ही विमान उतर सकते हैं। गंगा एक्सप्रेसवे में CAT II ILS सिस्टम है। यहां कम विजिबिलिटी के समय भी लैंडिंग हो सकती है।

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भारत में एक दर्जन राजमार्गों पर उतर सकते हैं लड़ाकू विमान
Image Credit : ANI

भारत में एक दर्जन राजमार्गों पर उतर सकते हैं लड़ाकू विमान

भारत में करीब एक दर्जन राजमार्गों पर लड़ाकू विमान उतर सकते हैं। इनमें से चार उत्तर प्रदेश में हैं।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (UP): यह भारत का पहला एक्सप्रेसवे है, जिसका इस्तेमाल वायुसेना ने इमरजेंसी लैंडिंग सुविधा के रूप में किया था। उन्नाव के पास 3.2 किलोमीटर लंबा हिस्सा लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (UP): सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर हवाई पट्टी बनी है। इसकी लंबाई 3.2 किलोमीटर है।

यमुना एक्सप्रेसवे (UP): ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे पर जेवर के पास हवाई पट्टी बनाई गई है। यहां लड़ाकू विमान उतर सकते हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग 925A (राजस्थान): यह पहला राष्ट्रीय राजमार्ग था जिसे आधिकारिक तौर पर IAF के लिए आपातकालीन लैंडिंग सुविधा के रूप में विकसित किया गया था। बाड़मेर जिले में गंधव भाकासर के पास इस सड़क पर 3.5km लंबी हवाई पट्टी बनाई गई है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 16 (ओडिशा): ओडिशा के बालासोर जिले में NH-16 पर हवाई पट्टी बनाई गई है।

गंगा एक्सप्रेसवे (UP): गंगा एक्सप्रेसवे पर बने हवाई पट्टी की लंबाई 3.5 km है। यहां इंडियन एयरफोर्स के सभी लड़ाकू विमान उतर सकते हैं।

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क्यों जरूरी है सड़क पर हवाई पट्टी बनाना
Image Credit : ANI

क्यों जरूरी है सड़क पर हवाई पट्टी बनाना

सड़क पर हाई पट्टी का निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि लड़ाई के समय जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल हो सके। अगर नियमित हवाई अड्डे दुश्मन के हमले में क्षतिग्रस्त हो जाएं तो इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

वायुसेना के लिए हवाई पट्टी मजबूत कंक्रीट और खास डामर से बनाए जाते हैं। इन्हें इतना मजबूत और लचीला बनाया जाता है कि लड़ाकू विमानों के बार-बार उड़ान भरने और उतरने के भारी वजन और मजबूत दबाव को संभाल सके। इनमें पानी निकलने के लिए खांचे होते हैं। विमान के टायरों से रबर को जमने से रोकने के लिए विशेष कोटिंग होती है। सख्त सैन्य मानकों को पूरा करने के लिए इनका नियमित रूप से रखरखाव किया जाता है।

दूसरी ओर सड़क मुख्य रूप से वाहनों के लिए बनाए गए हैं। इसमें नियमित सैन्य रनवे जैसी विशेष सतही परतें नहीं हैं। इसपर उतरना लड़ाकू विमानों के लिए जोखिम भरा होता है। तेज गति से उतरने या उड़ान भरने के दौरान स्किडिंग, हाइड्रोप्लेनिंग (पानी पर फिसलना) या टायर के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है।

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क्या चीन और पाकिस्तान के पास है लड़ाकू विमान उतारने लायक सड़कें
Image Credit : ANI

क्या चीन और पाकिस्तान के पास है लड़ाकू विमान उतारने लायक सड़कें

चीन और पाकिस्तान ने भी ऐसी सड़कें बनाई हैं जिनपर लड़ाकू विमान को उतारा जा सकता है। ये विमान यहां से उड़ान भी भर सकते हैं। चीन ने 1989 में ही सड़क पर लड़ाकू विमान उतरने का अभ्यास शुरू कर दिया था। पाकिस्तान ने 2000 और फिर 2010 और 2019 में यह क्षमता दिखाई। पाकिस्तान अपने एम-2 मोटरवे का इस्तेमाल लड़ाकू विमानों को उतारने के लिए करता है।

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Vivek Kumar
विवेक कुमार को 12 साल का डिजिटल मीडिया का अनुभव है। वह मौजूदा समय में एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रहे हैं। इन्होंने एमएससी तक की पढ़ाई की है। Read More...
 
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