सार

Nur khan airbase strike: भारत द्वारा रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तान की न्यूक्लियर सुरक्षा को लेकर मची खलबली, अमेरिका को करनी पड़ी तत्काल कूटनीतिक पहल। जानिए इस हमले ने कैसे बदले युद्ध के समीकरण।

 

India Pakistan ceasefire inside story: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य टकराव में सबसे निर्णायक मोड़ उस वक्त आया, जब भारत ने रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस (Nur Khan Airbase) को अपने मिसाइल और ड्रोन हमलों का निशाना बनाया। यह हमला इतना प्रभावशाली था कि अमेरिका, जो अब तक स्थिति से दूर रहा, को तत्काल मध्यस्थता के प्रयास शुरू करने पड़े।

पाकिस्तानी सेना में मचा हड़कंप

रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन एयरबेसों में से सबसे अहम स्ट्राइक नूर खान एयरबेस पर हुई जो पाकिस्तान की सैन्य लॉजिस्टिक का प्रमुख केंद्र है। यह बेस इस्लामाबाद से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर और पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय के बगल में स्थित है। इसके पास ही बेनजीर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नेशनल एयरोस्पेस सेंटर भी मौजूद हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने BBC उर्दू से कहा: पहले एक बड़ा धमाका हुआ, फिर कुछ ही देर में दूसरा। आग की लपटें उठने लगीं और पूरे इलाके को सेना ने घेर लिया। मीडिया और आम लोगों को पास भी नहीं जाने दिया गया।

 

 

परमाणु ठिकानों के करीब, अमेरिका की चिंता बढ़ी

नूर खान एयरबेस, पाकिस्तान की एयर-रिफ्यूलिंग क्षमताओं और स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन (जो परमाणु हथियारों की देखरेख करता है) के बेहद करीब स्थित है। यही वजह रही कि भारत की इस सर्जिकल कार्रवाई को अमेरिका ने एक संभावित परमाणु खतरे की चेतावनी (Nuclear Decapitation Warning) के रूप में देखा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि कहीं उनका न्यूक्लियर कमांड स्ट्रक्चर ही न ध्वस्त कर दिया जाए।

 

 

क्या बुलाई गई थी 'National Command Authority' की बैठक?

स्थानीय मीडिया ने दावा किया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ (Shehbaz Sharif) ने इस हमले के तुरंत बाद नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की बैठक बुलाई जो परमाणु हथियारों के उपयोग पर अंतिम निर्णय लेती है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने इस दावे से इनकार कर दिया।

अमेरिका की भूमिका में आया बदलाव

इस स्ट्राइक के बाद अमेरिकी प्रशासन में गहरी चिंता देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को यह एहसास हुआ कि केवल सार्वजनिक बयानबाजी से कुछ नहीं होगा। नूर खान स्ट्राइक ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत की कार्रवाई नियंत्रित और गहरी रणनीतिक योजना के तहत की जा रही है।

कूटनीतिक दबाव के बीच भारत की रणनीतिक बढ़त

भारत ने इस हमले से यह दिखा दिया कि वह पाकिस्तान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों को भी सटीकता से निशाना बना सकता है। यह न केवल पाकिस्तान की सैन्य तैयारी के लिए झटका था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चेतावनी थी कि यह टकराव अगर अनियंत्रित हुआ, तो इसका असर वैश्विक स्थिरता पर पड़ सकता है।