सार
MIGM trial: DRDO और भारतीय नौसेना ने अत्याधुनिक मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन का सफल परीक्षण किया है। साथ ही मध्य प्रदेश में पहली बार स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप का फ्लाइट ट्रायल भी हुआ। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
DRDO and Navy's MIGM Trial successful: डीआरडीओ (DRDO) और इंडियन नेवी ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (Multi-Influence Ground Mine - MIGM) का सफल कॉम्बैट फायरिंग टेस्टिंग किया है। इसमें कम विस्फोटक मात्रा का उपयोग किया गया था ताकि सिस्टम की प्रभावशीलता का परीक्षण किया जा सके।
यह सिस्टम DRDO की नौसेना विज्ञान एवं तकनीकी प्रयोगशाला विशाखापत्तनम द्वारा विकसित की गई है जिसमें पुणे की हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी और चंडीगढ़ की टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी ने सहयोग किया है।
MIGM की विशेषता और निर्माण भागीदारी
यह एडवांस अंडरवाटर माइन सिस्टम आधुनिक स्टेल्थ जहाजों और पनडुब्बियों के विरुद्ध भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत बनाएगी। इसका निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड विशाखापत्तनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड हैदराबाद द्वारा किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय नौसेना और उद्योग भागीदारों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की अंडरसी वॉरफेयर क्षमता को नई ऊंचाई प्रदान करेगी।
स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप का पहला सफल परीक्षण
इसके साथ ही DRDO ने 3 मई को श्योपुर, मध्य प्रदेश में स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला फ्लाइट ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया। यह एयरशिप आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट द्वारा विकसित की गई है।
एयरशिप को 17 किलोमीटर ऊंचाई तक भेजा गया, जहां इसने विभिन्न उपकरणों और सेंसर डाटा को रिकॉर्ड किया। इसके जरिए भविष्य की उच्च ऊंचाई वाली एयरशिप उड़ानों के लिए सटीक सिमुलेशन मॉडल विकसित किए जाएंगे।
रक्षा मंत्री की सराहना
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए DRDO को बधाई देते हुए कहा कि यह सिस्टम भारत की पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) और खुफिया निगरानी (ISR) क्षमताओं को अनूठा रूप से बढ़ाएगी। यह भारत को उन कुछ देशों की सूची में शामिल कर देगी, जिनके पास ऐसी स्वदेशी तकनीक है। उन्होंने कहा कि भारत अपने दुश्मनों को हर स्तर पर जवाब देने में अधिक एडवांस तरीका अपनाने में सक्षम हो चुका है।