Will Modi’s last-row move change the game? भाजपा की कार्यशाला में पीएम मोदी का आखिरी पंक्ति में बैठना क्या उपराष्ट्रपति चुनाव की गुप्त रणनीति का हिस्सा है? राधाकृष्णन बनाम रेड्डी की जंग में कौन पलटेगा पासा?

BJP Parliamentary Workshop 2025: अब सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि राजनीति का ऐसा मंच बन गया है, जहां हर छोटी चाल मायने रखती है। भाजपा ने अपने सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला रखी है और इसमें सबसे दिलचस्प नज़ारा तब दिखा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आखिरी पंक्ति में साधारण कार्यकर्ता की तरह बैठे। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मोदी का यह कदम सिर्फ सादगी का संदेश है या इसके पीछे कोई छिपी हुई रणनीति? यही रहस्य इस चुनाव को और रोमांचक बना रहा है।

क्या मोदी की आखिरी पंक्ति में मौजूदगी है छिपी रणनीति?

भाजपा की कार्यशाला का पहला दिन विकास और सोशल मीडिया पर केंद्रित रहा। लेकिन चर्चा का असली मुद्दा यह रहा कि पीएम मोदी ने सामने बैठने के बजाय पिछली पंक्ति में जगह क्यों चुनी? कुछ लोग इसे “सादगी का प्रतीक” मान रहे हैं, तो कुछ इसे “संकेत” बता रहे हैं कि भाजपा उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को बेहद गंभीरता से ले रही है।

कार्यशाला में क्या हुआ खास?

कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम से हुई। सांसदों ने GST सुधारों के लिए पीएम मोदी का सम्मान भी किया। इसके बाद कृषि, रक्षा, ऊर्जा, शिक्षा और रेलवे जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। लेकिन सबसे अहम सत्र कल यानी दूसरे दिन होगा, जब सांसदों को गुप्त मतदान और वोटिंग प्रक्रिया पर खास प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह साफ संकेत है कि भाजपा इस चुनाव में किसी भी वोट को गलती से रद्द नहीं होने देना चाहती।

उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन किसके सामने?

9 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी INDIA ब्लॉक उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने होंगे।

  • राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और अभी महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
  • रेड्डी तेलंगाना से हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं।
  • दोनों ही दक्षिण भारत से आते हैं, इसलिए यह लड़ाई क्षेत्रीय और वैचारिक दोनों स्तरों पर अहम हो गई है।

क्या 18 सांसद बदल देंगे चुनाव का रुख़?

गणित के हिसाब से NDA के पास 439 वोट और विपक्ष के पास 324 वोट होने का अनुमान है। लेकिन असली पेच उन 18 सांसदों का है, जिन्होंने अब तक अपना पत्ता नहीं खोला है। इनमें बीजेडी, बीआरएस, अकाली दल और कुछ निर्दलीय सांसद शामिल हैं। गुप्त मतदान और क्रास वोटिंग (Cross Voting) की संभावना इस मुकाबले को और रहस्यमय बना रही है।

नतीजों से आगे क्या है असली संदेश?

भले ही आंकड़े NDA के पक्ष में दिख रहे हों, लेकिन विपक्ष इस चुनाव को “संविधान बनाम आरएसएस-बीजेपी” की लड़ाई बताकर माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। अगर विपक्ष को सभी संभावित वोट मिलते हैं, तो हार के बावजूद यह उनके लिए बड़ा मनोबल साबित होगा।