Ayushman Vaya Vandana Yojana: आयुष्मान वय वंदना योजना बुजुर्गों के किसी वरदान से कम नहीं है। कई बुजुर्गों ने इसका इस्तेमाल करके अपनी गंभीर बीमारी का ईलाज करवाया। दिल्ली के शाहदरा क्षेत्र की दिलशाद कॉलोनी में रहने वाली 81 साल की सुरेंद्र कांता सचदेवा ने इस योजना की मदद से अपना पेसमेकर बदलवाया। उनका कहना है कि पहले बुजुर्गों के इलाज का खर्च गरीब परिवारों के लिए भारी बोझ बन जाता था, लेकिन इस योजना की वजह से अब इलाज मुफ्त हो रहा है और परिवारों को राहत मिल रही है।
22 अप्रैल की रात अचानक बिगड़ी थी तबीयत
सुरेंद्र कांता सचदेवा को 15 साल पहले दिल की धड़कन धीमी होने के कारण पेसमेकर लगाया गया था। 22 अप्रैल की रात को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई जिसके बाद उनके बेटे संजय सचदेवा उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां से उन्हें ताहिरपुर के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन रात में डॉक्टर न होने के कारण इलाज नहीं हो सका।
डॉक्टरों ने नया पेसमेकर लगाने की दी थी सलाह
इसके बाद वे राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे जहां सुरेंद्र कांता को भर्ती कर लिया गया। उन्हें तीन दिन तक निगरानी में रखा गया और कई जांचें की गईं। जांच में पता चला कि उनका पुराना पेसमेकर खराब हो चुका है, जिससे उनकी दिल की धड़कन फिर से धीमी हो रही थी। डॉक्टरों ने नया पेसमेकर लगाने की सलाह दी और बताया कि इसका खर्च करीब 90 हजार रुपये आएगा।
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वय वंदना योजना के तहत बने 27,400 कार्ड
इसी दौरान उन्हें पता चला कि दिल्ली सरकार 70 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए वय वंदना कार्ड जारी कर रही है, जिसके तहत इलाज मुफ्त में किया जा सकता है। 25 अप्रैल की रात संजय ने इंटरनेट पर वय वंदना योजना की जानकारी ली और आयुष्मान भारत पोर्टल पर मां का रजिस्ट्रेशन कराया। थोड़ी कोशिश के बाद रात 12:33 बजे कार्ड बन गया। दो दिन बाद वह कार्ड लेकर अस्पताल पहुंचा जहां जांच और अनुमान के बाद सर्जरी की मंजूरी मिल गई। 30 अप्रैल को सुरेंद्र कांता सचदेवा की सर्जरी हुई और पेसमेकर बदला गया। अब वह स्वस्थ होकर घर लौट चुकी हैं।
दिल्ली में अब तक वय वंदना योजना के 27,400 कार्ड बन चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 5,189 कार्ड उत्तर पश्चिम जिले में और सबसे कम 496 कार्ड दक्षिण पूर्व जिले में बने हैं।