Premanad Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज की बातें सुनकर लाखों लोगों ने अपनी जिंदगी में पॉजिटिव बदलाव लाए हैं। आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज की वो 5 बातें, जो उन्होंने लव मैरिज करने वालों को दी हैं।
Premanand Ji Maharaj On Relationship: हमारे समाज में शादी केवल दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। माता-पिता अपने बेटे या बेटी के लिए जीवनसाथी चुनते हैं ताकि जब कभी गृहस्थ जीवन में मुश्किलें आएं, तो परिवार और समाज का सहारा मिल सके। हालांकि आज के समय में लव मैरिज का चलन बढ़ रहा है, लेकिन इसमें अब भी परिवार और समाज की पूरी सहमति नहीं होती। कई बार ऐसे विवाहों में झगड़े अधिक होते हैं क्योंकि दोनों पक्षों से कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं होता है, जिससे बात तलाक तक पहुंच जाती है। ऐसे में प्रेम विवाह के बाद रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए कपल को प्रेमानंद जी महाराज की ये 5 सलाह जरूर माननी चाहिए
फैमिली की मंजूरी जरूर
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि अगर प्रेम विवाह करना है, तो परिवार की सहमति जरूर लें। माता-पिता की मंजूरी और सहभागिता से लव मैरेज को मजबूत किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने माता-पिता को भी एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर बच्चा प्रेम विवाह करना चाहता है तो उसका विरोध करने की बजाए, साथ देते हुए पहले तो दोनों की जांच करें कि वाकई दोनों प्यार करते हैं और पवित्र हैं। अगर दोनों वाकई एक दूसरे को चाहते हैं तो फिर शादी करा देनी चाहिए।
शारीरिक आकर्षण न बनाएं रिश्ते की नींव
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि सिर्फ शारीरिक आकर्षण पर आधारित संबंध अक्सर अस्थिर होते हैं। प्रेम पर आधारित रिश्ते प्रेम और सम्मान से लंबे समय तक चलते हैं।
प्रतिबद्धता और आत्म-संयम का पालन करें
रिश्ते को स्थिरता देने के लिए शादी से पहले ब्रह्मचर्य का पालन और साझी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह भरोसे और समझ पर आधारित जीवनबंधन को मजबूत करता है।
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बीते रिश्तों को पीछे छोड़ें
महाराज जी का मानना है कि पति-पत्नी को अपने पुराने संबंधों का जिक्र नहीं करना चाहिए। इससे विश्वास की डोर मजबूत रहती है और सुखद संबंध बनता है।
प्यार, सम्मान और संवाद बनाए रखें
रिश्तों में प्यार के साथ संवाद और सम्मान का होना जरूरी है। एक-दूसरे की भावनाओं को समझें, गलतियां स्वीकार करें और समय-समय पर बातचीत रखकर दूरी न आने दें। घर-गृहस्थी में लड़ाई-झगड़े होते हैं, लेकिन उसे मिलकर संभालना चाहिए। संबंध विच्छेद यानी अलग होने तक बात नहीं पहुंचनी चाहिए।
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