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चाणक्य नीति को अनुसार क्यों नहीं करनी चाहिए अपने बेटे की तारीफ, हैरान कर देगी ये बातें
Chanakya Niti For Parenting: बेटे की परवरिश में पिता की भूमिका पर प्रकाश डालती ये सीख बताती है कि बच्चों की तारीफ कैसे उनके लिए नुकसानदेह हो सकती है और उन्हें कैसे काबिल बनाना ज़रूरी है।
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माता-पिता हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके लिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं और उनके लालन-पालन में भी समय लगाते हैं। लेकिन आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में बेटे का जिक्र किया है, आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आचार्य चाणक्य ने बेटे की परवरिश के लिए क्या बातें बताई हैं।
पिता को क्या करना चाहिए
आचार्य चाणक्य के अनुसार पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बेटे को हमेशा अच्छे गुणों और अच्छे कामों के लिए प्रेरित करे। हालांकि, उसे समाज में अपने बेटे की तारीफ करने से बचना चाहिए। आचार्य चाणक्य का मानना है कि ऐसा करना खुद की तारीफ करने जैसा है, जो आपको लोगों के बीच हंसी का पात्र बनाता है।
ईर्ष्या की भावना
अगर आप कभी अपने बच्चे की तारीफ उसके दोस्तों के सामने करेंगे तो उसके दोस्तों में आपके बेटे के लिए ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाएगी, जिसकी वजह से कोई भी उसे पसंद नहीं करेगा और उसका बुरा चाहेगा।
समाज में खुद बनेगी पहचान
आचार्य चाणक्य का मानना है कि अगर आपके बेटे में काबिलियत है, वो ईमानदार है तो समाज खुद उसकी तारीफ करेगा और लोग आपके बेटे के बारे में पूछेंगे, जिसकी वजह से समाज में उसकी और आपकी एक अलग पहचान बनेगी।
मानसिक दबाव
अगर आप खुद अपने बेटे की तारीफ करते हैं और फिर हंसी का कारण बनते हैं तो ये आपके बेटे के लिए एक मानसिक दबाव की तरह होगा। जिसकी वजह से उसे हर चीज अजीब लगने लगेगी। इसलिए आपको हमेशा अपने बेटे को काबिल बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद पूरी दुनिया उसकी तारीफ करेगी।