Child Mental Health के शुरुआती लक्षणों में भावनात्मक, व्यवहारिक बदलाव, पढ़ाई में दिक्कत, शारीरिक शिकायतें, नींद व खाने की आदतों में बदलाव शामिल हैं। समय पर पहचान कर विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है।

Mental Health Issues In Children: आज के दौर में बच्चों का स्वभाव पहले के बच्चों से बिल्कुल होता जा रहा है। पढ़ाई का तनाव, सोशल मीडिया पर तुलना, डिजिटल दुनिया का असर और पारिवारिक माहौल - ये सब उनके मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहे हैं। बड़े लोग अपने इमोशन को शब्दों में बयां कर लेते हैं, लेकिन बच्चे अक्सर अपनी परेशानी को बता नहीं पाते हैं। ऐसे में उनकी शुरुआती परेशानियों को 'नखरा' कहकर अनदेखा कर दिया जाता है। उनके व्यवहार, पढ़ाई और रोजमर्रा की आदतों में आने वाले बदलाव मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकते हैं। समय रहते इन्हें पहचानना और मदद करना बच्चों को बेहतर तरीके से संभालने में बहुत अहम साबित होता है। आइए बताते हैं, बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के शुरुआती संकेत।

भावनात्मक और व्यवहारिक बदलाव (Emotional And Behavioral Changes)

यदि कोई बच्चा जो हमेशा खुश रहता है अचानक चिड़चिड़ा, गुस्सैल या बहुत चुपचाप हो जाए, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। बच्चे का लगातार उदास रहना या रोना, उसके खराब मेंटल हेल्थ के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा पहले पसंद आने वाली चीजों में अचानक रुचि कम होना, छोटी-छोटी बातों पर जरूरत से ज्यादा रिएक्शन देना, ये संकेत भी बताते हैं कि उसके मेंटल हेल्थ से जुड़ी कोई समस्या है।

पढ़ाई और एकाग्रता में दिक्कत (Difficulty In Studying And Concentration)

कक्षा में मानसिक स्वास्थ्य की परेशानी सबसे पहले दिखाई दे सकती है। नंबर गिरना या पढ़ाई में अचानक ढिलाई। बार-बार ध्यान भटकना, बातें भूलना ये भी मेंटल हेल्थ की तरफ इशारा करता है। इसके अलावा स्कूल जाने से डरना या बार-बार बीमारी का बहाना बनाना भी ये बताता है कि बच्चा मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा है।

शारीरिक शिकायतें (बिना मेडिकल कारण)

कई बार बच्चे अपनी मानसिक परेशानी को शारीरिक तकलीफ के रूप में दिखाते हैं। जैसे सिर दर्द, पेट दर्द, थकान आदि। उनकी एनर्जी डाउन रहती है।

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नींद और खाने की आदतों में बदलाव (changes in sleep and eating habits)

नींद न आना, बार-बार डरावने सपने आना, बहुत ज्यादा खाना खाना या फिर बिल्कुल खाना नहीं खाना भी बच्चे के मेंटल हेल्थ की तरफ इशारा करता है।

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 पहले सीखी हुई आदतों का छूट जाना (जैसे फिर से बिस्तर गीला करना) माता-पिता से जरूरत से ज़्यादा चिपके रहना नए लोगों या माहौल से अत्यधिक डरना। 

माता-पिता को क्या करना चाहिए 

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं अक्सर धीरे-धीरे शुरू होती हैं। यदि माता-पिता समय रहते बदलावों को पहचानें, बच्चों से खुले दिल से बात करें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की मदद लें, तो बच्चे मुश्किल दौर से निकलकर स्वस्थ और आत्मविश्वासी बन सकते हैं।

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