Sex Workers Day: 2 जून को इंटरनेशनल डे फॉर सेक्स वर्कर मनाया जाता है। जानिए सेक्स वर्कर्स से जुड़े इतिहास, यूनान की हेटाइरा संस्कृति, भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत और उनके अधिकारों की सच्चाई।
International Sex Workers Day: 2 जून को इंटरनेशनल डे फॉर सेक्स वर्कर मनाया जाता है। दुनिया के कई देशों वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के करीब 300 ऑर्गेनाइजेशमन सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। भारत में वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं माना जाता है।
हाई क्लास वेश्याएं कहलाती थी हेटाइरा
यूनान में वेश्यावृत्ति बेहद कॉमन थी और महिला के साथ ही पुरुष भी इन कामों से जुड़े थे। ग्रीक के समाज में वेश्याओं के वर्ग को हेटाइरा के नाम से जाना जाता था। भले ही आम महिलाओं को पार्टी में पुरुषों के साथ शामिल होने की इजाजत नहीं थी लेकिन हेटाइरा ऐसी पार्टियों में आती थीं। हाई क्लास से अटैतमेंट के कारण हेटाइरा पॉलिटिक्स को भी प्रभावित करती थीं।
भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत
भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत हजारों साल पुरानी है। करीब 3500 साल पहले वेश्यावृत्ति का जिक्र मिलता है। ऋगवेद में जतिनी शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसका मतलब विवाहित पुरुष से अवैध संबंध बनाने वाली महिला है। ऐसी महिलाओं को बदले में कुछ तोहफा या फिर पैसे दिए जाते थे। हजारों साल पुरानी वेश्यावृत्ति का अब काफी बदल चुकी है। जहां पहले के समय में वेश्याएं धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी रहती थीं वहीं अब पोनोग्राफी ने बदलते परिवेश में अपनी जगह ले ली है।
सेक्शुअल वायलेंस के कारण दर्दनाक स्थिति
आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 73% सेक्स वर्कर्स अपने जीवन काल में कभी न कभी सेक्शुअल वायलेंस का शिकार होते हैं। सेक्स वर्कर की सिर्फ भारत नहीं बल्कि अन्य देशों में भी स्थिति दर्दनाक है। लंदन में 1888 में व्हाइट चैपल इलाके में कई सेक्स वर्कर्स की गला रेत कर हत्या कर दी गई।
सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए जंग
दुनिया में कई ऐसे ऑर्गेनाइजेशन हैं जो सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की बात करते हैं। इस तबके के लिए कोई भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं होता। सेक्स वर्कर्स को कई अधिकार प्राप्त हैं लेकिन उनपर ध्यान नहीं दिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, भले ही वो वेश्यावृत्ति से जुड़ा हो।