Co-Parenting: अलगाव के बाद बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती, लेकिन ये बच्चे के लिए नुकसानदेह भी नहीं होनी चाहिए। अगर मां-बाप थोड़ा सोच-समझकर और मिलकर चलें, तो बच्चे की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सब कुछ शांति से संभाला जा सकता है। 

Co-Parenting Tips:ब्रेकअप या तलाक माता-पिता के लिए मुश्किल होता है, लेकिन बच्चों के लिए यह और भी ज्यादा दर्दनाक हो सकता है। बच्चे के लिए हालात को आसान बनाने का सबसे अच्छा तरीका है ,प्यार और सम्मान के साथ मिलकर उसकी परवरिश करना। अगर मां-बाप आपसी समझदारी, साफ़ बातचीत और थोड़ा अपनापन दिखाएं, तो अलग रहने के बाद भी बच्चे को एक सुरक्षित और स्नेह भरा माहौल दिया जा सकता है।

अलगाव के बाद भी बच्चे की परवरिश: 7 आसान टिप्स

1. निजी मतभेदों से पहले बच्चे की जरूरतों को रखें

आपके बच्चे का भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। चाहे आपके और आपके पूर्व साथी के बीच तनाव हो, अपने बच्चे के सामने कभी भी गुस्सा, दोष या आलोचना न दिखाएं। वयस्क बातें अपने और अपने पूर्व साथी के बीच रखें और अपने बच्चे को अनवांटेड इमोशनल स्ट्रेस से बचाएं।

2. दोनों घरों में एक जैसी डेली रूटीन बनाएं

बच्चे डेली रूटीन पर जीते हैं। दोनों घरों में तय डेली रूटीन जैसे-सोने का समय, पढ़ाई का समय, भोजन, स्क्रीन टाइम पर सहमत हों। इससे बच्चे को आसानी से तालमेल बिठाने में मदद मिलती है और उन्हें ऐसा महसूस नहीं होता कि वे दो दुनियाओं में जी रहे हैं।

3. माता-पिता के बीच खुला और सम्मानजनक कम्युनिकेशन

असरदार को-पैरेंटिंग के लिए खुले, सम्मानजनक कम्युनिकेशन की जरूरत होती है। दूसरे माता-पिता के साथ अपने बच्चे की प्रगति, आचरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के बारे में अक्सर बात करें। अगर सीधी बातचीत चुनौतीपूर्ण हो, तो टेक्स्ट, ईमेल भेजें या को-पैरेंटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करें, लेकिन बच्चे को मैसेंजर के रूप में इस्तेमाल न करें।

4. दूसरे माता-पिता के बारे में कभी भी निगेटिव बात न करें

अपने बच्चे से अपने पूर्व साथी की बुराई करने से भ्रम, परस्पर विरोधी वफादारी और भावनात्मक दर्द हो सकता है। बच्चे खुद को माता-पिता दोनों का मेल मानते हैं,अगर आप एक की निंदा करते हैं, तो वे उस निगेटिव तरीके से उसे ले सकते हैं। हमेशा सम्मान के साथ कम्युनिकेशन करें और नेचुरल रहें।

5. दूसरे माता-पिता के साथ क्वालिटी टाइम को बढ़ावा दें

अपने बच्चे के दूसरे माता-पिता के साथ संबंधों को बढ़ावा दें। उन्हें वहां अच्छा समय न बिताने के लिए दोषी न ठहराएं। हेल्दी को-पैरेंटिंग बच्चे की बिना किसी दबाव या इंटरफेरेंस के दोनों माता-पिता से प्यार करने की जरूरत का सम्मान करने के बारे में है।

6. बच्चे से दूर विवादों को सुलझाएं

झगड़े तो होंगे, लेकिन कभी भी बच्चे के सामने बहस या लड़ाई न करें। अगर किसी बात पर मतभेद है, तो उस पर बात तब करें जब बच्चा आसपास न हो। जरूरत लगे तो किसी काउंसलर या तीसरे व्यक्ति की मदद से हल निकालें। बच्चे को अपने आसपास सुरक्षित और शांत माहौल महसूस होना चाहिए, ना कि ऐसा लगे कि वो मम्मी-पापा के झगड़े के बीच फंसा हुआ है।

7. जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लें

अगर ब्रेकअप या तलाक के बाद मां-बाप और बच्चा नई स्थिति को समझने या उसमें ढलने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं, तो किसी पारिवारिक काउंसलर या थेरेपिस्ट से मदद लेना एक अच्छा कदम हो सकता है। समय पर मिली छोटी-सी मदद आगे चलकर बड़े भावनात्मक दर्द से बचा सकती है।

 सच ये है कि ब्रेकअप के बाद मिलकर बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं होता। लेकिन अगर आप एक-दूसरे से इज्जत से बात करें, खुलकर और ईमानदारी से बातचीत करें, और हर फैसला बच्चे की भलाई को ध्यान में रखकर लें तो आप एक मजबूत, खुशहाल और समझदार बच्चे की परवरिश बिल्कुल कर सकते हैं।