सार

Shocking Truths about Cancer: कैंसर के इलाज से जुड़े कई मिथक हैं जो हमें डराते हैं। जानें विशेषज्ञों की राय इन मिथकों की सच्चाई के बारे में, खानपान से लेकर इलाज तक।

What Myths about Cancer: कैंसर पहले से ही काफी डरावना है और हमें इस लड़ाई में मिथकों, गलत सूचनाओं और आधे-अधूरे सच पर बोझ नहीं डालना चाहिए। चाहे वह किसी अच्छे रिश्तेदार की फुसफुसाती सलाह हो या व्हाट्सएप पर पढ़ी गई कोई बात, ये मिथक फायदे से ज़्यादा नुकसान कर सकते हैं। इसलिए हमने कैंसर के बारे में सबसे आम मिथकों को तोड़ने के लिए कैंसर विशेषज्ञों की सलाह को लेकर यहां बात करेंगे। जिसमें टीके से लेकर सर्जरी और मोबाइल फोन तक सब कुछ शामिल है। बिसनेस स्टेंडर्ड से इंटरव्यू में के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपको किन बातों पर विश्वास करना बंद कर देना चाहिए और क्यों?

क्या कैंसर के इलाज के लिए पूरे ब्रेस्ट को हटाने की आवश्यकता होती है?

तथ्य: सच नहीं है। सीके बिड़ला अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. मंदीप सिंह मल्होत्रा ​​ने कहा कि शुरुआती चरण के स्तन कैंसर के लिए, ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी (केवल ट्यूमर और आसपास के भाग को हटाना) कुल मास्टेक्टॉमी जितनी ही प्रभावी है। यह इमोशनली और प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार कर सकती है।

क्या केवल धूम्रपान करने वालों को ही फेफड़े का कैंसर हो सकता है?

तथ्य: धूम्रपान एक बड़ा जोखिम है, लेकिन एकमात्र जोखिम नहीं है। डॉ. मल्होत्रा ​​बताते हैं कि धूम्रपान न करने वालों को सेकेंड हैंड धुएं, वायु प्रदूषण, रेडॉन गैस और जहरीले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण फेफड़े का कैंसर हो सकता है। एम्स दिल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मयंक सिंह इस बात से सहमत हैं, उनका कहना है कि फेफड़े का कैंसर सबसे आम छिटपुट कैंसर में से एक है, जो अक्सर धूम्रपान न करने वालों में देखा जाता है, जिनका कोई पारिवारिक इतिहास नहीं होता।

क्या लक्षण दिखने तक कैंसर की जांच को छोड़ना सुरक्षित है?

तथ्य: लक्षणों का इंतजार करने का मतलब बहुत लंबा इंतजार करना हो सकता है। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की डॉ. कीर्ति चड्ढा ने कहा कि सर्वाइकल जैसे कई कैंसर चुपचाप शुरू होते हैं। हर 3-5 साल में पैप स्मीयर या एचपीवी टेस्ट जैसी नियमित जांच जरूरी है, भले ही आप बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे हों।

क्या सभी गांठें, गांठें या ट्यूमर कैंसरकारी होते हैं?

तथ्य: पहली गांठ पर घबराएं नहीं। डॉ. चड्ढा ने कहा कि अधिकांश गांठें सौम्य होती हैं। केवल बायोप्सी और हिस्टोपैथोलॉजी ही पुष्टि कर सकती है कि यह कैंसर है या नहीं। उचित निदान के बिना निष्कर्ष पर न पहुंचें।

क्या मोबाइल फ़ोन के उपयोग से मस्तिष्क कैंसर हो सकता है?

तथ्य: डॉ. मयंक सिंह ने कहा कि मोबाइल फ़ोन से निकलने वाली गैस Ionization है और कैंसर से जुड़े डीएनए क्षति का कारण नहीं बनता है। लेकिन अब तक के अध्ययनों, जिसमें WHO अध्ययन भी शामिल है, ने मोबाइल के उपयोग को मस्तिष्क कैंसर से जोड़ने जैसे कोई स्ट्रॉग सबूत नहीं मिले हैं।

क्या केवल पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को ही कैंसर होता है?

तथ्य: अधिकांश कैंसर वास्तव में छिटपुट होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे ऐसे लोगों में होते हैं जिनका कोई पारिवारिक इतिहास नहीं होता। डॉ. सिंह ने कहा, "बहुत कम ही ऐसे केस होते हैं" लाइफस्टाइल और दूषित पर्यावरण, जैसे पॉल्यूशन, आहार, अक्सर अधिक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता होते हैं।

क्या सुपरफूड या हर्बल उपचार कैंसर को ठीक कर सकते हैं या रोक सकते हैं?

तथ्य: ऐसा कोई "चमत्कारी भोजन" नहीं है जो कैंसर को ठीक कर सके। हालांकि, पोषक तत्वों से भरपूर आहार रिएक्टिव ऑक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के कारण होने वाले डीएनए क्षति के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है, डॉ. सिंह ने कहा। "एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से आरओएस को कम करने में मदद मिलती है।

क्या आपके आहार से चीनी को खत्म करना कैंसर के विकास को रोक सकता है?

तथ्य: कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज का उपयोग करती हैं, लेकिन स्वस्थ कोशिकाएं भी इसका उपयोग करती हैं। डॉ. मल्होत्रा ​​बताते हैं कि चीनी को पूरी तरह से खत्म करना या बहुत कम कार्ब वाला आहार लेना कैंसर को नहीं रोक पाएगा, और यह खतरनाक भी हो सकता है। "गंभीर रूप से प्रतिबंधित आहार खराब पोषण और वजन घटाने का कारण बन सकता है।