Different types of yoga and benefits; अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जानें योग के विभिन्न प्रकार और उनके लाभ। हठ योग से लेकर कर्म योग तक, सभी आपके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मददगार।

Types of Yoga and Their Differences: हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य योग के प्रति लोगों को जागरूक करना, इसके फायदे बताना और अपने जीवन में योग को महत्व देना है। योग कई प्रकार के होते हैं, जो अलग-अलग तरह से किए जाते हैं और शरीर पर इसके अलग प्रभाव पड़ते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि योग कितने प्रकार के होते हैं और कैसे यह आपके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास के लिए जरूरी होते हैं।

कितने तरह के होते हैं योग

हठ योग (Hatha Yoga)

हठ योग आसन और प्राणायाम का मिश्रण होता है, जो शरीर को मजबूत बनाता है और इसमें मेडिटेशन होता है। जो लोग योग की शुरुआत करते हैं, उनके लिए हठ योग बेहतर होता है। यह शरीर को बैलेंस और स्थिर करता है।

राजयोग (Raja Yoga)

राजयोग ध्यान, आत्म नियंत्रण पर केंद्रित होता है। इसका उद्देश्य मन पर विजय प्राप्त करना है। इसमें ध्यान, समाधि, चित्र वृत्ति जैसी चीजें होती हैं, यह पतंजलि के योग सूत्र में से है।

कुंडलिनी योग (Kundalini Yoga)

कुंडलिनी योग शरीर की ऊर्जा को जागृत करने की एक प्रक्रिया होती है। यह शरीर के चक्र को एक्टिव करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। इसमें मंत्र, जाप, प्राणायाम, ध्यान और विशेष मुद्राएं होती हैं।

अष्टांग योग (Ashtanga Yoga)

अष्टांग योग में तेज गति वाले आसनों को स्टेप बाय स्टेप किया जाता है। यह शरीर और मन को संतुलित और मजबूत बनाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह फिटनेस के लिए जरूरी योग में से एक माना जाता है।

विन्यास योग (Vinyasa Yoga)

विन्यास योग फ्लो के साथ योगासन होता है, जिसमें म्यूजिक भी होता है। यह फ्लेक्सिबिलिटी, स्ट्रैंथ और ब्रीदिंग पर फोकस रहता है। इसमें मूवमेंट बहुत ज्यादा होते हैं, जिससे फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ती है।

भक्ति योग (Bhakti Yoga)

यह योग के सबसे महत्वपूर्ण प्रकार में से एक है, जो प्रेम, भक्ति और समर्पण पर आधारित होता है। इसमें ईश्वर के साथ आत्मा का मिलन होता है। कीर्तन, जप, पूजा आदि चीजों का अभ्यास किया जाता है। यह भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करता है।

ज्ञान योग (Gyan Yoga)

ज्ञान योग ज्ञान और विवेक के रास्ते से मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। इसमें मैं कौन हूं, इस प्रश्न का उत्तर खोजना होता है। इसमें वेदांत, उपनिषद, स्व-चिंतन जैसे अभ्यास शामिल होते हैं। इससे तर्कशीलता और चिंतनशीलता बढ़ती है।

कर्म योग (Karma Yoga)

कर्म योग आपके निस्वार्थ सेवा और कर्म के माध्यम से आत्मा की शुद्धि के लिए किया जाता है, जिसमें बिना किसी इच्छा के कर्म करना होता है। जैसे सेवा कार्य, दूसरों के लिए कुछ करना आदि, इससे व्यक्ति अहंकार से मुक्त हो जाता है।