सीने में दर्द का मतलब एसिडिटी नहीं ये हार्ट अटैक भी हो सकता है, अगर आप भी ऐसी स्थिति में बार बार होते हैं कनफ्यूज, तो दोनों के लक्षण में अंतर समझें, जो इस लेख में हमने बताए हैं।
How to Know Chest Pain is Acidity or Heart Attack?: छाती में दर्द होने पर अक्सर लोग घबरा जाते हैं कि कहीं हार्ट अटैक तो नहीं हो गया! लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। कई बार ये सिर्फ गैस और एसिडिटी होती है, जो हार्ट अटैक जैसी ही फीलिंग देती है। इसलिए ये जानना बहुत जरूरी है कि एसिडिटी और हार्ट अटैक के वक्त शरीर में कैसा महसूस होता है और कौन सा दर्द क्या है? आज हम आपको इंस्टाग्राम के एक पोस्ट के माध्यम से विस्तार से बताएंगे कि एसिडिटी और हार्ट अटैक में क्या अंतर है और यह एक दूसरे से कैसे अलग है।
एसिडिटी और हार्ट अटैक में क्या फर्क होता है? (Difference Between Acidity And Heart Attack Symptoms)
दर्द गले तक जाए तो हो सकती है एसिडिटी
एसिडिटी में पेट का एसिड ऊपर की ओर चढ़ता है, जिससे गले तक जलन और दर्द महसूस हो सकता है।
दर्द शोल्डर और जबड़े तक आए तो समझें हार्ट अटैक हो सकता है
हार्ट अटैक के दौरान छाती का दर्द अक्सर बाएं कंधे, बाजू और जबड़े तक फैलता है।
छाती में जलन हो तो अधिकतर केस में होती है एसिडिटी
अगर आप खाना खाने के बाद या लेटते ही छाती में जलन महसूस करते हैं, तो यह एसिडिटी का लक्षण है।
छाती में प्रेशर या भारीपन हो तो हो सकता है हार्ट अटैक
हार्ट अटैक में ऐसा लगता है कि छाती पर किसी ने भारी पत्थर रख दिया हो, इस दौरान बहुत ज्यादा प्रेशर महसूस होता है।
लेटने पर दर्द बढ़े तो ये है एसिडिटी का इशारा
जब आप लेटते हैं और छाती में दर्द या जलन बढ़ जाती है, तो ये पाचन समस्या है, यानी एसिडिटी हो सकती है।
लेटने पर दर्द न बढ़े, बल्कि वैसा ही बना रहे, तो हो सकता है हार्ट अटैक
हार्ट अटैक का दर्द पोजीशन बदलने से प्रभावित नहीं होता—ये लगातार बना रहता है।
मुंह का स्वाद खराब लगे तो ये भी है एसिडिटी का संकेत
अगर मुंह में खटास, कड़वापन या अजीब स्वाद आ रहा है, तो यह गैस्ट्रिक रिफ्लक्स (एसिडिटी) के कारण हो सकता है।
अगर पसीना और चक्कर भी आ रहे हों, तो तुरंत सतर्क हो जाएं—ये हार्ट अटैक हो सकता है
हार्ट अटैक के साथ अक्सर ठंडा पसीना, घबराहट और सिर घूमना महसूस होता है।
नोट-
अगर किसी भी लक्षण को लेकर संदेह हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
एसिडिटी और हार्ट अटैक के लक्षणों में कुछ हद तक समानता जरूर होती है, लेकिन फर्क समझना और समय रहते सही इलाज लेना जान बचा सकता है।