Detox diet without side effects: आजकल डिटॉक्स डाइट काफी मशहूर है। हालांकि ये फायदेमंद लगती है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। डिटॉक्स डाइट अपनाने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना ज़रूरी है।
डिटॉक्स डाइट में कुछ समय के लिए कुछ खाने-पीने की चीज़ो से परहेज किया जाता है और ज़्यादातर फलों का रस, सब्ज़ियों का रस और हर्बल ड्रिंक्स पी जाती हैं। कहा जाता है कि ये डाइट वज़न घटाने, पाचन बेहतर करने और त्वचा निखारने में मदद करती है। लेकिन, सच तो ये है कि इन दावों के ज़्यादातर कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, हमारा शरीर खुद ही विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम होता है। लिवर, किडनी, फेफड़े और आंत जैसे अंग प्राकृतिक रूप से विषैले पदार्थों को बाहर निकालते हैं। सही खानपान, पर्याप्त पानी पीना, व्यायाम और अच्छी नींद शरीर की इस प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया में मदद करते हैं।
डिटॉक्स डाइट के नुकसान
1- पोषक तत्वों की कमी: कई डिटॉक्स डाइट में कुछ ही तरह के खाने-पीने की चीज़ें शामिल होती हैं या फिर ठोस आहार पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। इससे शरीर को प्रोटीन, ज़रूरी विटामिन, मिनरल और फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कमी से थकान, कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, चक्कर आना, बाल झड़ना और त्वचा की समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक पोषक तत्वों की कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
2- थकान और ऊर्जा की कमी: कम कैलोरी और जरूरी कार्बोहाइड्रेट न मिलने के कारण, डिटॉक्स डाइट करने वालों को बहुत थकान और ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है। मांसपेशियों और दिमाग को ज़रूरी ऊर्जा न मिलने से रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत हो सकती है।
3- सिरदर्द और जी मिचलाना: डिटॉक्स डाइट शुरू करने के शुरुआती दिनों में, चीनी, कैफीन या दूसरी आदत वाली चीजें छोड़ने पर सिरदर्द, जी मिचलाना और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा शुगर विदड्रावल या कैफीन विदड्रावल की वजह से हो सकता है।
4- पाचन संबंधी समस्याएं: अचानक खानपान में बदलाव करने से कब्ज़, दस्त, पेट फूलना या गैस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ डिटॉक्स ड्रिंक्स या हर्ब्स पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खासतौर पर, कम फाइबर वाली डाइट से कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
5- ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव: डायबिटीज या ब्लड शुगर की समस्या वाले लोगों के लिए डिटॉक्स डाइट बहुत खतरनाक हो सकती है। कम कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी लेने से ब्लड शुगर लेवल खतरनाक स्तर तक गिर सकता है (हाइपोग्लाइसीमिया)। वहीं, ज़्यादा फलों का रस या मीठे पेय पदार्थ पीने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
6- लिवर और किडनी पर दबाव: कुछ डिटॉक्स डाइट लिवर और किडनी पर जरूरत से ज़्यादा दबाव डाल सकती हैं। खासतौर पर, बहुत ज़्यादा या बहुत कम प्रोटीन वाली डाइट, या फिर बहुत ज़्यादा हर्बल ड्रिंक्स, इन अंगों के कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं। पहले से ही किडनी की समस्या वाले लोगों के लिए ये बहुत खतरनाक हो सकता है।
7- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता: पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने पर, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो सकती है। इससे, संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
8- मानसिक समस्याएं: खाने-पीने पर सख्त पाबंदियां, पसंदीदा खाने से परहेज़, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल न हो पाना, इन सब वजहों से तनाव, चिंता और अवसाद हो सकता है। खाने के बारे में नकारात्मक विचार या खाने से जुड़ी बीमारियां (ईटिंग डिसऑर्डर) भी हो सकती हैं।
डिटॉक्स डाइट भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसके नुकसानों के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है। शरीर को टॉक्टिन से मुक्त रखने का सबसे अच्छा तरीका है सही खानपान, पर्याप्त पानी पीना, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली। कोई भी डिटॉक्स डाइट शुरू करने से पहले, डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत जरूरी है।