सार
corona virus variants changed: Corona के नए वेरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 फिर से बढ़ा रहे हैं खतरा। जानें मौजूदा वैक्सीन कितनी असरदार है और कौन सी वैक्सीन किसे लगाई जा सकती है। रिसर्च आधारित जानकारी।
corona virus variants and vaccine: दुनिया में तेजी से फिर से पैर पसार रहा कोरोना लोगों को फिर से सोचने पर मजबूर कर रहा है। अस्पतालों में कोरोना के मरीज अब बढ़ने लगे हैं। ऐसे में लोगों के मन में कोरोना के बदलते वेरिएंट और साथ में वैक्सीन को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना के नए वेरिएंट वेरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 के बारे में जोरो से चर्चा हो रही है। पांच साल पहले शुरू हुए कोरोना वायरस के वेरिएंट में खूब बदलाव हुए हैं। ऐसे में पुरानी कोरोना वैक्सीन कितनी असरदार है, इस बारे में रिचर्स हुई है। अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में इस बारे में अहम जानकारी दी गई।
बदलते कोविड वेरिएंट में वैक्सीन की प्रभाविकता
हांगकांग और सिंगापुर से शुरू हुआ कोरोना भारत में भी पैर पसार रहा है। येल युनिवर्सिटी ने रिसर्च में बताया है कि साल 2022 में कोरोना के टीके अब भी कोविड की बीमारी में प्रभावी हैं। सीडीसी के अनुसार 6 माह से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा सकता है। रिसर्च में ये बात सामने आई कि कोरोना के वेरिएंट बदलने के साथ ही कोरोना वैक्सीन भी अपडेट की गई है। mRNA वैक्सीन वुहान वायरस को टार्गेट करती थी। वहीं बाइवेलेंट वैक्सीन ओमिक्रॉन BA.4/BA.5 वेरिएंट के लिए प्रभावी मानी गई। वैक्सीन की मदद से बीमारी को रोक नहीं सकते बल्कि कोविड के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
कोरोना की नई वैक्सीन
- फाइजर-बायोएनटेक- mRNA वैक्सीन है और 6 माह से अधिक के लोगों को दी जाती है।
- मोडेर्ना (Spikevax)- ये भी mRNA वैक्सीन है और सभी आयु वर्ग के लोगों को दी जाती है।
- नोवावैक्स (Nuvaxovid)- वैक्सीन mRNA वैक्सीन है और ये प्रोटीन बेस्ड है। इसे सिर्फ 65 से अधिक या फिर इंफेक्शन के हाई रिस्क वाले लोगों को दिया जाता है।
कोरोना वेरिएंट बदलने के साथ ही बूस्टर डोज जरूर लगवाएं। समय बढ़ने के साथ एंटीबॉडीज का प्रभाव कम हो जाता है। ऐसे में नई वैक्सीन जरूर लगवाएं और बीमारी के खतरे को कम करें।