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8 दिन में आतंकी विकास दुबे और उसकी गैंग के 5 बदमाशों का एनकाउंटर, जानें किसका कैसे हुआ अंत
कानपुर (Uttar Pradesh) । कानपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्याकर यूपी का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर बनने वाला विकास दुबे आज एनकाउंटर में मारा गया। इस एनकाउंटर में चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। एसएसपी दिनेश कुमार ने एनकाउंटर की पुष्टि की है। उनका कहना है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिसवालों का हथियार छीनकर भाग निकला। उसे सरेंडर करने का मौका दिया गया था, लेकिन विकास दुबे ने फायरिं शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई है। आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि कैसे आठ दिन में आतंकी विकास दुबे समेत उसके गैंग के 5 बदमाशों का एनकाउंटर हुआ।
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मध्य प्रदेश से एसटीएफ यूपी के मोस्ट वांटेड गैंगेस्टर विकास दुबे को स्कार्पियों से कानपुर ला रही थी। अचानक खबर आई कि कानपुर में एसटीएफ की गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई, गाड़ी में सवार पुलिस कर्मियों के घायल होने की सूचना है। इसी गाड़ी में विकास दुबे भी था। सूचना मिल रही है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, पुलिस से पिस्टल छिन लिया। लेकिन, जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया। जिसे अस्पताल ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने तीन जुलाई को विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। वह भी शातिर अपराधी था और विकास का बेहद भरोसेमंद था। उसके पास से पुलिस से लूटी गई एक पिस्टल भी बरामद हुई थी।
विकास के मामा प्रेमप्रकाश के साथ ही रहे विकास के चचेरे भाई अतुल दुबे को भी पुलिस ने 3 जुलाई को ही एनकाउंटर में मार गिराया। उसने पुलिस टीम को देखते ही फायरिंग की लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। अतुल विकास के कई काले धंधों के संचालन में खास भूमिका निभाता था।
यूपी एसटीएफ ने 8 जुलाई की सुबह कानपुर हत्याकांड के वांछितों की लिस्ट में नंबर एक पर रहे विकास के बेहद करीबी अमर दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। अमर दुबे घटना के बाद विकास दुबे के साथ ही भागा था और वो विकास के सबसे खास गुर्गों में से एक था। अमर विकास के सबसे ज्यादा करीब था, उसे हमेशा से ही लग्जरी गाड़ियों और मंहगे असलहों का शौक रहा था। विकास के कहने पर उसने कई वारदातों को अंजाम भी दिया था।
7 जुलाई की रात पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद से विकास के पड़ोसी व उसकी गैंग में बेहद सक्रिय रहने वाले प्रभात मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था। प्रभात साये की तरह विकास के साथ रहता था और उसके हर अपराध में सहभागी रहता था। पुलिस ने फरीदाबाद कोर्ट से प्रभात को रिमांड पर लिया था। वहां से वापस आते समय 9 जुलाई की सुबह कानपुर के पनकी में पुलिस की गाड़ी पंक्चर हो गई, जिसका बाद प्रभात दारोगा की पिस्टल छीन कर भागने लगा, उसने पुलिस पर फायरिंग की जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे भी मार गिराया।
9 जुलाई की सुबह इटावा सिविल लाइन पुलिस ने कचौरा रोड पर एक और मुठभेड़ में पुलिस ने बबुआ दुबे उर्फ प्रवीण को मार गिराया। वह बिकरू कांड के आरोपितों में शामिल था और उसपर 50 हजार का इनाम भी घोषित है। पुलिस ने उसके कब्जे से एक पिस्टल, एक डबल बैरल बंदूक और कई कारतूस बरामद किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक बबऊ दुबे उर्फ प्रवीण कानपुर इटावा हाईवे पर बकेवर इलाके के महेवा के पास सुबह 3 बजे एक स्विफ्ट डिजायर को चार बदमाशों के साथ मिलकर लूटने के बाद भाग रहा था। पुलिस को देख सभी बदमाश फायरिंग करने लगे। पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की, जिसमें बबऊ उर्फ प्रवीण गोली लगने से घायल हुआ, जिसे अस्पताल लाया गया। जहां उसकी मौत हो गई, जबकि अन्य बदमाश मौके से फरार हो गए है।