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बिहार के तथागत अवतार तुलसी ने सबसे कम उम्र में की थी PHD, मात्र 33 पेज में थीसिस लिख बना दिया था रिकार्ड
पटना (Bihar) । देश के सबसे कम उम्र के प्रोफेसर बनने का गौरव हासिल करने वाले तथागत अवतार तुलसी (Tathagata avatar tulsi) बिहार के हैं। तथागत ने 12 साल में नेट और 22 की उम्र में IIT जैसे संस्थान में देश का सबसे यंग प्रोफेसर बनकर दुनिया को हैरान कर दिया था। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड (Guinness Book of Record) और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ( Limca Book of Record) में भी दर्ज है। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि उन्होंने सबसे कम पेज में (मात्र 33 पेज) पीएचडी थीसिस लिखने का रिकार्ड भी बनाया था।
(बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच हम अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करा रहे हैं। इस सीरीज में राजनीति से अलग राज्य की उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में जानकारी दी जाएगी जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। ये हस्तियां खेल, सिनेमा, कारोबार, किसानी और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ी हैं। आज तथागत की कहानी।)
| Published : Sep 24 2020, 01:55 PM IST
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तथागत 6 साल की उम्र से ही गणित के बड़े सवाल बिना पेन और पेंसिल के ही आसानी से हल कर लेते थे। वह जब आठ साल के थे तब कक्षा 6 की परीक्षा देना चाहते थे। काफी अनुरोध पर स्कूल प्रशासन ने परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। लेकिन, उनका रिजल्ट जारी नहीं हुआ। डरासल, स्कूल ऑथिरिटी ने बताया कि तथागत ने न सिर्फ क्लास में टॉप किया है बल्कि पूरे स्कूल में टॉप किया था। मगर, अंडर एज होने की वजह से उन्हें प्रमोट नहीं किया जा सकता था।
तुलसी सातवीं क्लास की पढ़ाई नहीं करना चाहते थे। इसलिए सेल्फ स्टडी के बल पर सातवीं, आठवीं नौंवी और हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता ने 10वीं क्लास की परीक्षा दिलाने के लिए सीबीएसई से अनुमति मांगी। लेकिन, इजाजत नहीं मिली। दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद उन्हें मौका मिला।
तुलसी ने महज 9 साल की उम्र में मैट्रिक, 11 साल की उम्र में ही बीएससी और 12 साल की उम्र में एमएससी की डिग्री हासिल कर इतिहास रच दिया था। इतना ही नहीं मात्र 22 साल की उम्र में ही आईआईटी, मुंबई में उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनने बनने का गौरव हासिल हुआ था।
तथागत ने बेंगलुरु से पीएचडी कर भारत के सबसे युवा पीएचडी होल्डर का रिकार्ड बनाया था। वे आईआईटी के सबसे युवा प्रोफेसर माने जाते थे।
2003 में उन्हें टाइम पत्रिका ने विश्व के सात सर्वाधिक चमत्कारिक युवाओं की लिस्ट में शामिल किया था। बताते चलें कि पीएचडी करने के तुरंत बाद यानि वर्ष 2010 में ही ये IIT मुंबई के प्रोफेसर बन गए थे। लेकिन, वहां का क्लाइमेट इनपर विपरीत असर कर रहा था जिस वजह से ये बीमार रहने लगे।
बीमार रहने के दौरान 4 साल तक ये लगातार छुट्टी पर रहे और फिर पांचवें साल इन्होंने प्रबंधन को छुट्टी के लिए आवेदन दिया, लेकिन इसबार छुट्टी की मंजूर नहीं हुई। इसके बाद तुलसी ने संस्थान के निदेशक को IIT दिल्ली में तबादला करने के लिए आवेदन दिया ताकि वहां पढ़ाने के अतिरिक्त वे रिसर्च भी कर सकें। लेकिन, प्रबंधन ने एक्ट का हवाला देते हुए तबादले से इंकार कर दिया और फिर इन्हें नौकरी से टर्मिनेट कर दिया।