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- .तो तेजस्वी नहीं दिला पाए तेज प्रताप की साली को टिकट,रीतराल को मिला सिंबल, कभी लालू ने मांगी थी मदद
.तो तेजस्वी नहीं दिला पाए तेज प्रताप की साली को टिकट,रीतराल को मिला सिंबल, कभी लालू ने मांगी थी मदद
पटना (Bihar )। डेढ़ माह पहले जेल से जमानत पर बाहर आए बाहुबली नेता रीतलाल (Reetlal) को दानापुर विधानसभा सीट (Danapur Assembly Seat) से आरजेडी (RJD) ने अपना सिंबल दे ही दिया। यहां से तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की चचेरी साली करिश्मा (karishma) के अलावा पूर्व डीजी अशोक गुप्ता (Ashok Gupta) भी टिकट की दौड़ में थे। बता दें कि एक ऐसा भी समय था जब खुद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने रीतलाल को पार्टी में महासचिव का पद दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) को चुनाव जिताने में मदद मांगी थी। हालांकि मीसा चुनाव हार गई थीं। लेकिन, इस बार चुनाव लड़ने के लिए उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े।
| Published : Oct 13 2020, 02:58 PM IST / Updated: Oct 13 2020, 03:08 PM IST
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खबर है कि पहले लालू परिवार के ही कुछ सदस्यों की ओर से रीतलाल का विरोध किया जा रहा था, जिसके चलते उनकी पत्नी को आगे किया गया। मगर, बीती देर रात तक रस्साकशी चलती रही। सुबह होते-होते पासा पलट गया और रीतलाल राय खुद अपने नाम से सिंबल जारी कराने में सफल हो गए।
रीतलाल पटना के कोठवां गांव के रहने वाले हैं। 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक उनका वर्चस्व था। बताते हैं कि रेलवे के दानापुर डिवीजन से निकलने वाले हर टेंडर पर उनका कब्जा रहता था। कहा तो यह भी जाता है कि उनके खिलाफ जाने की कोशिश करने वाला जान की कीमत चुकाता था।
रीतलाल पहले अपने गांव के मुखिया हुआ करते थे। बताते हैं कि 30 अप्रैल 2003 को जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेल पिलावल-लाठी घुमावल रैली कर रहे थे, इसी दौरान रीतलाल ने खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून दिया था।
भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और सुर्खियों में आ गया जब चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चून्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी थी जब वो घाट बना रहे थे।
चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्मसमर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।
भाजपा नेता की हत्या के बाद वो डॉन के नाम से जाना जाने लगा। इस घटना के बाद उसके गुर्गों ने एकबार फिर शिक्षण संस्थान के मालिक से एक करोड़ रुपए रंगदारी की मांग की थी। बता दें कि ये रंगदारी तब मांगी गई थी, जब वह पटना के बेऊर में जेल में बंद था।