पंचायत में माधव का किरदार निभाने वाले बुल्लू कुमार का सफर रंगमंच से शुरू होकर मुंबई तक पहुंचा। जानिए कैसे उन्हें 'पंचायत' में आखिरी मौके पर यह रोल मिला और उनके जीवन के संघर्षों के बारे में।
TVF की कॉमेडी वेब सीरीज 'पंचायत' का चौथा सीजन अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुका है और दर्शकों को ख़ूब पसंद भी आ रहा है। इस सीरीज में कई किरदार हैं, जो आपका ध्यान खींचते हैं और इन्हीं में से एक है माधव। रिफरेन्स के लिए बता दें कि माधव वो किरदार है, जो भूषण शर्मा उर्फ़ बनराकस(दुर्गेश कुमार) के लिए मंजू देवी (नीना गुप्ता) और उनकी टीम की जासूसी करते नज़र आता है। माधव का किरदार बुल्लू कुमार ने निभाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी कास्टिंग सबसे आखिर में हुई। बुल्लू कुमार ने एशियानेट न्यूज़ से बातचीत में ऐसी कई खास बातें शेयर की। उनसे बातचीत के खास अंश:-
एक्टिंग की दुनिया में कैसे आए 'पंचायत' के माधव बुल्लू कुमार?
बुल्लू कुमार कहते हैं, “मेरी एक्टिंग जर्नी गांव के रंगमंच से शुरू हुई। किसान परिवार से हूं, जहां घरवालों की उम्मीद होती है कि उनके बच्चे की सरकारी नौकरी लग जाए। मुझे भी यही करना था। 10वीं तक गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की, फिर गया आ गए।”
बुल्लू कुमार आगे कहते हैं, "गया में इंटर और ग्रैजुएशन करने के बाद नौकरी की तैयारी के लिए पटना आए। यहां आकर पता चला कि नाटक की भी एक दुनिया होती है। मुझे लगा कि मेरे लायक यही है। नौकरी की तैयारी छोड़ रंगमंच से जुड़ गए। 2005-06 से यह करते आ रहे हैं। अब थोड़ा सिनेमा की ओर शिफ्ट हो गए हैं। क्योंकि रंगमंच में सर्वाइव करना थोड़ा मुश्किल है।"
बुल्लू कुमार ने किया थिएटर में दो साल का डिप्लोमा
बकौल बुल्लू कुमार, "मैं तीसरी या चौथी कक्षा में पहली बार मंच पर गया था। लेकिन असली शुरुआत पटना में आकर हुई। मैंने 2006-08 में बिहारा थिएटर से डिप्लोमा लिया और फिर पूरी तरह रंगमंच से जुड़ गया। डायरेक्टर- प्रोड्यूसर्स से संपर्क करता गया और धीरे-धीरे रंगमंच में अपनी पहचान बनाई। थिएटर में मेरा अच्छा-खासा नाम हो गया। बिहार सरकार ने मुझे भिखारी ठाकुर सम्मान दिया, जो युवा रंगकर्मी को दिया जाता है।"
बुल्लू कुमार को पहला बड़ा ब्रेक कब मिला?
बुल्लू कुमार ने बताया कि उन्होंने नागार्जुन द्वारा लिखे गए पहले आंचलिक उपन्यास 'बलचनमा' पर बने टीवी शो में लीड रोल निभाया था। बाद में उन्होंने कुछ और सीरीज और फिल्मों में काम किया। लेकिन उन्हें बड़ा ब्रेक हॉटस्टार की सीरीज 'ग्रहण' में मिला। वे कहते हैं, “हमारे फील्ड में कैमरामैन से लेकर डायरेक्टर और एक्टर तक सबका अपना संघर्ष होता है। यहां सक्सेस का रेशियो बहुत कम होता है। मेरे लिए तो दुनिया खुल रही थी। मुझे तो कुछ भी पता ही नहीं था। धीरे-धीरे एनएसडी के बारे में पता चला। मैंने वहां के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया। हर बार वर्कशॉप तक ही पहुंच पाया। आखिर में तो मैं थक गया था।”
बकौल बुल्लू, " लॉकडाउन ने हालात और खराब कर दिए। मैं तब गांव चला गया और लगने लगा था कि अब कुछ नहीं होगा। उस दौरान मैंने खेती-किसानी की। मम्मी-पापा का गुजरना, फिर लॉकडाउन लगना, इन सबसे मैं हताश हो गया था। फिर एक दिन कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने फोन किया और मुंबई बुला लिया। 'ग्रहण' साइन किया और फिर 'पंचायत' मिल गई। ईश्वर के आशीर्वाद से सब ठीक हो गया और रोजी रोटी चलने लगी। अभी तो मेरे लिए शुरुआत ही है। मैं थिएटर से यहां आया हूं। दो -तीन प्रयास किए, लेकिन असल में लॉकडाउन के बाद मुंबई में शिफ्ट हो पाया हूं। "
'पंचायत' में कैसे कास्ट हुए बुल्लू कुमार?
बुल्लू कुमार कहते हैं, "मुंबई में आकर काम की तलाश में घूम रहे थे। फिर पता चला कि पंचायत की कास्टिंग हो रही है। मेरे एक दोस्त ने मुझे कास्टिंग डायरेक्टर का नंबर दिया। मैंने उन्हें मैसेज किया। अपनी प्रोफाइल भेजी। उन्होंने माधव की स्क्रिप्ट भेजी, जिसके ऑडिशन का वीडियो बनाकर मैंने सेंड कर दिया और उन्होंने मुझे फाइनल कर लिया। इसे संयोग ही कह सकते हैं या ऊपर वाले की कृपा कि उन्होंने मेरे पास यह मौका भेजा। घुमा-फिराकर मैं पंचायत में कैसे पहुंचा? यह ऊपर वाला ही जाने। पूरी कास्टिंग हो चुकी थी। सिर्फ एक यही किरदार बचा हुआ था और संयोग और भगवान का आशीर्वाद कि वो मुझे मिल गया।