विष्णु मांचू की 'कन्नप्पा' में एक नास्तिक शिकारी की भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति की कहानी दिखाई गई है। फिल्म में मोहनलाल, प्रभास और अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार्स भी अहम भूमिकाओं में हैं।

विष्णु मांचू की ताजा फिल्म 'कन्नप्पा' खूब चर्चा में है। इसमें वे लीड रोल कर रहे हैं। फिल्म में तिन्नाडू (विष्णु मांचू) के नास्तिक से आस्तिक और फिर भगवान शिव के परम भक्त बनने की कहानी दिखाई गई है। डायरेक्टर मुकेश कुमार सिंह की इस फिल्म में अलग-अलग फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार्स ने एक्सटेंडेड कैमियो किया है। मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार मोहनलाल किराता बने हैं। तेलुगु सुपरस्टार प्रभास रूद्र के रोल में हैं और बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार भगवान शिव की भूमिका में हैं। कई दर्शकों के जेहन में यह सवाल होगा कि कन्नप्पा आखिर थे कौन? जानिए उनकी पूरी कहानी...

कौन थे कन्नप्पा?

दक्षिण भारत की परम्पराओं के अनुसार कन्नप्पा भगवान शिव के परम भक्त थे। उनकी कहानी आंध्रप्रदेश के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर से जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि साउथ इंडिया की मान्यताओं के अनुसार संत कहे जाने वाले कन्नप्पा का जन्म आंध्रप्रदेश में हुआ था। उनका जन्म का नाम तिन्ना था। वे चेंचू काबिले से ताल्लुक रखते थे और शिकारी फैमिली से आते थे।

नास्तिक से आस्तिक कैसे बने कन्नप्पा?

तिन्ना यानी कन्नप्पा नास्तिक के रूप में बड़े हुए। वे भगवान में नहीं मानते थे और अक्सर पूजा पाठ का विरोध किया करते थे। बताया जाता है कि एक दिन जब वे जंगल में शिकार के लिए गए थे, तब उन्हें हवा में शिव लिंग की आकृति दिखी, जिसे वायु लिंग के रूप में जाना जाता है। तिन्ना पूजा-पाठ नहीं जानते थे। लेकिन उनके पास जो था (मुंह में पानी और शिकार से प्राप्त किया गया मांस), उन्होंने वह उस वायु लिंग को अर्पित कर दिया। तिन्ना की भक्ति में सच्चाई देखते हुए भगवान शिव ने उनके द्वारा अर्पित किया गया मुंह का पानी और शिकार का मांस स्वीकार कर लिया।

तिन्ना के सामने प्रकट हुए थे भगवान शिव

तिन्ना ने भक्ति का सबसे बड़ा परिचय उस वक्त दिया, जब एक दिन उन्होंने शिव लिंग की एक आंख से खून बहते देखा। उन्होंने अपनी एक आंख निकाली और उस लिंग को लगा दी, जिसके बाद खून बहना बंद हो गया। अचानक उन्होंने देखा कि लिंगम की दूसरी आंख से खून बहने लगा। तब उन्होंने अपनी दूसरी आंख निकालकर वहां अर्पित करने का फैसला लिया। लेकिन जैसे ही वे अपनी दूसरी आंख निकालने को तैयार हुए, भगवान शिव प्रकट हो गए और उनके त्याग से काफी प्रभावित हुए। भगवान शिव ने ना केवल कन्नप्पा को उनकी रोशनी वापस दी, बल्कि उन्हें मोक्ष भी प्रदान किया। 

श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर में होती है वायु लिंग की पूजा

कन्नप्पा जिस वायु लिंग की पूजा करते थे, उसे आज भी आंध्रप्रदेश के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर में पूजा जाता है। वहां आज भी परम शिव भक्त कन्नप्पा की कथा सुनाई जाती है, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपना सर्वस्व भोलेनाथ को अर्पित कर दिया था।