जंगलों में पला-बढ़ा नास्तिक तिन्नाडू कैसे बना भगवान शिव का परम भक्त कन्नप्पा? कलाहस्ती मंदिर के इतिहास से प्रेरित, मोड़ों से भरी ये कहानी, विष्णु मांचू, प्रभास, अक्षय कुमार जैसे सितारों से सजी है।
तेलुगु सिनेमा की मोस्ट अवैटेड फिल्म 'कन्नप्प्पा' ने फाइनली सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। इस फिल्म का निर्देशन मुकेश कुमार सिंह ने किया है और मोहन बाबू ने इसे प्रोड्यूस किया है। फिल्म के कहानीकार और लीड एक्टर विष्णु मांचू हैं। मोहन बाबू, आर. शरतकुमार, मधु, मुकेश ऋषि, ब्रह्माजी, ब्रह्मानंदम के अलावा अक्षय कुमार, प्रभास, मोहनलाल और काजल अग्रवाल भी फिल्म में छोटे, लेकिन महत्वपूर्ण रोल करते दिखे हैं। एवीए एंटरटेनमेंट और 24 फ्रेम्स फैक्ट्री के बैनर तले फिल्म का निर्माण हुआ है। जानिए आखिर कैसी है यह फिल्म...
क्या है कन्नप्पा की कहानी?
'कन्नप्पा' की कहानी तिन्नाडू (विष्णु मांचू) के बारे में हैं, जो जंगलों में कबीलों में पैदा हुआ और नास्तिक के रूप में बड़ा हुआ। वह भगवान और सदियों पुरानी परम्पराओं में यकीन नहीं रखता है और मूर्ति पूजा का विरोध करता है। कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न आते हैं और आखिर में तिन्नाडू बड़ा शिव भक्त बनता है, जो कन्नपा के नाम से मशहूर हो जाता है। फिल्म की कहानी आंध्रप्रदेश के श्री कलाहस्ती मंदिर के इतिहास से प्रेरित है। तिन्नाडू के नास्तिक होने से उसे क्या कुछ सहना पड़ता है? वह आस्तिक कैसे बनता है? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब आपको फिल्म देखने के बाद मिलेंगे।
कन्नप्पा का मूवी रिव्यू
कन्नप्पा का पहला पार्ट बहुत ही साधारण है और एक तरह से फिलर की तरह लगता है, जैसे कि कहानी को अंत तक पहुंचाने के लिए इसे जबरदस्ती खींचा गया है। फिल्म के डायलॉग्स में दम नहीं है। लोकेशन और गाने अच्छे हैं, लेकिन ये भक्ति वाली फिल्म में फिट नहीं बैठते हैं। डबिंग से कई जगह आप निराश होंगे। फिल्म का दूसरा पार्ट काफी हद तक अच्छा बन पड़ा है। खासकर इसका क्लाइमैक्स, जो हर वर्ग के दर्शकों को जोड़ने में सफल होता है। कुल मिलाकर फिल्म का डायरेक्शन एवरेज है। फिल्म का लेखन बेहद कमज़ोर है। हां, VFX शानदार हैं, जो कहानी के साथ मेल खाते हैं।
'कन्नप्पा' में कैसी है स्टार कास्ट की एक्टिंग
विष्णु मांचू ने डबल रोल किया है और वे अपने किरदार में एकदम फिट बैठे हैं। उनकी अदाकारी दिल जीत लेती है। प्रभास ने रूद्र का रोल बखूबी निभाया और वे कमाल दिखे हैं। अक्षय कुमार भगवान शिव के रोल में खूब जमे हैं और काजल अग्रवाल ने माता पार्वती की भूमिका में जान फूंक दी है। मोहनलाल और मोहन बाबू की भूमिका की खास तारीफ़ बनती है। दोनों ने कमाल की एक्टिंग की है। आर. शरत कुमार और बाकी सभी एक्टर्स ने अपने-अपने हिस्से का काम बख़ूबी किया है। कुल मिलाकर एक्टिंग के लेवल पर यह फिल्म काबिल-ए-तारीफ़ है।
कन्नपा देखें या ना देखें?
अगर आप विष्णु मांचू की एक्टिंग के फैन हैं। फिल्मों में अक्षय कुमार या प्रभास को देखना पसंद करते हैं तो यह फिल्म आप देख सकते हैं। अच्छी कहानी, और डायलॉग्स की उम्मीद रखने वाले दर्शकों को यह फिल्म निराश कर सकती है। हां, अगर महान शिव भक्त कन्नप्पा की जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं तो आप यह फिल्म एक बार देख सकते हैं।