सार
Kesari Veer Movie Review : प्रिंस धीमान द्वारा निर्देशित, वीर केसरी शुक्रवार 23 मई को थिएटर में रिलीज हुई है। इसकी कहानी हमीरजी गोहिल ( सूरज पंजोली) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो सौराष्ट्र और सोमनाथ मंदिर के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है। इसे ज़फ़र खान (विवेक ओबेरॉय) नष्ट करने पर आमादा है। हमीरजी को उनके मिशन में वेगदाजी (सुनील शेट्टी) और भील जनजाति के कुछ लोग मदद करते हैं। कहानी में क्या ट्विस्ट है, क्या ये सभी मिलकर मंदिर बचा पाते हैं। क्या वे आक्रमणकारियों को खदेड़ पाते हैं? इसे जानने के लिए फ़िल्म देखने जाना होगा। यहां हम स्टोरी के कुछ मुख्य बिंदु को रिव्यू कर रहे हैं।
सूरज पंचोली, विवेक ओबरॉय,आकांक्षा शर्मा का अभिनय
केसरी वीर का पहला भाग दर्शकों को कनप्यूज करता है - क्या यह एक वॉर ड्राम है, या एक बायोपिक? कहानी की शुरुआत से ही तीन लीड कैरेक्टर - हमीरजी, वेगदाजी और राजल ( आकांक्षा शर्मा) निराश करते हैं। सुनील शेट्टी ने जरुर कहानी को थामने की कोशिश की है। लेकिन वे इसमें आते-जाते रहते हैं और उनका कोई खास असर नहीं दिखता है। ज़फ़र के रूप में विवेक ओबेरॉय ओव्हर एक्टिंग करते दिखते हैं।
इंटरवल के बाद कहानी ने लिया नया मोड़
केसरी वीर का दूसरा पार्ट छोड़ा फनी ट्विस्ट लेकर आता है। सूरज का किरदार, युद्ध के लिए निकल रहा है, उसकी, उसकी प्रेमिका राजल उसे रोक लेती है। वह "सिर्फ़ एक दिन के लिए" उसकी पत्नी बनना चाहती है। इसके बाद फ़िल्म में डिटेल में शादी दिखाई जाती है। द्वार पर दुश्मन खड़ा है, नायक विवाह में समय नष्ट कर रहा है। इसके बाद शादी की रात ही वह लड़ाई के लिए निकल जाता है। ये कुछ ज्यादा ही नाटकीय लगता है।
छावा, पद्मावत की कॉपी करने की कोशिश
केसरी वीर में सूरज पांचोली के एक्टिंग ने निराश किया है। केवल गेटअप से ऐतिहासिक माहौल क्रिएट करने की कोशिश की गई है, जिसमें फिल्म मेकर असफल हो गए हैं। कुल मिलाकर, केसरी वीर के मेकर ने जल्दबाजी की मेहनत की है। छावा और पदमावत सा असर लाने की भी कवायद की गई है। हालांकि नकल तो फिर नकल हो होती है। हम से पांच में ढाई नंबर देंगे।