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IAS सुप्रिया साहू कौन हैं, जिन्हें मिला UN का सबसे बड़ा पर्यावरण सम्मान? उनकी 6 शानदार पहलें
Who is IAS Supriya Sahu:आईएएस सुप्रिया साहू को UN का Champions of the Earth पुरस्कार 2025 मिला है। जानिए कौन हैं सुप्रिया साहू, कैसे उनके पर्यावरण कार्य, प्रोजेक्ट्स और वनीकरण ने दुनिया को प्रभावित किया। उनकी शानदार पहलों के बारे में जानें।

IAS सुप्रिया साहू को मिला UN Champions of the Earth Award
तमिलनाडु की वरिष्ठ IAS अधिकारी सुप्रिया साहू को संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2025 का UN Champions of the Earth Award दिया गया। बता दें यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का सबसे बड़ा सम्मान है, जो उन लोगों को दिया जाता है जो पर्यावरण के लिए असाधारण और प्रेरणादायक काम कर रहे हों। नैरोबी में बुधवार को आईएएस सुप्रिया साहू को यह सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई।
कौन हैं आईएएस ऑफिसर सुप्रिया साहू?
सुप्रिया साहू करीब साढ़े चार साल से तमिलनाडु के एनवायरमेंट, क्लाइमेट चेंज और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में काम कर रही हैं। बचपन से ही उन्हें प्रकृति से लगाव था, क्योंकि उनके पिता की नौकरी के चलते उन्हें पूरे देश में घूमने का मौका मिला। उन्हें खास तौर पर हाथियों से बेहद प्यार है। उनका इंस्टाग्राम हाथियों की तस्वीरों और वीडियो से भरा है। वे मानती हैं कि हाथी हमें परिवार, धैर्य और नेतृत्व, तीनों की सीख दे सकते हैं।
कैसे शुरू हुआ सुप्रिया साहु का पर्यावरण को सुरक्षित रखने का सफर
30 साल की अपनी प्रशासनिक सेवा में उन्होंने भारत की जैव-विविधता को करीब से देखा है और यह भी देखा है कि प्लास्टिक और लापरवाही ने प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचाया है। नीलगिरि में कलेक्टर रहते हुए जब उन्होंने जानवरों को प्लास्टिक खाते देखा तो उन्हें महसूस हुआ कि 'धरती वाकई घुट रही है' और वही पल उनके लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ।
IAS सुप्रिया साहू को प्रकृति को बचाने के काम में गांववालों और बच्चों से मिली मदद
सुप्रिया साहू का सफर सिर्फ एक अधिकारी का नहीं, बल्कि एक ऐसी सोच का सफर है जो मानती है कि प्रकृति हमारी जिम्मेदारी है। वह खुद कहती हैं कि उनकी प्रेरणा उन गांववालों और बच्चों से आती है, जिन्होंने उनके साथ खड़े होकर प्रकृति को बचाने का काम किया। मंगलूव की सफाई से लेकर जंगलों के संरक्षण तक, हर कदम पर समुदाय ने उनका साथ दिया और सुप्रिया साहू ने इस सहयोग को एक बड़े आंदोलन में बदल दिया।
आईएएस सुप्रिया साहू की पहल ने पैदा किए लाखों ग्रीन जॉब्स
UN के अनुसार साहू को यह सम्मान इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने तमिलनाडु में क्लाइमेट एक्शन को जमीन पर उतारा, बड़े पैमाने पर इकोसिस्टम को रिस्टोर किया और सस्टेनेबल कूलिंग मॉडल को पूरे राज्य में सफल बनाया। उनकी पहल ने न सिर्फ लाखों लोगों की जिंदगी बेहतर की, बल्कि तमिलनाडु को Nature-Based Solutions का ग्लोबल मॉडल बना दिया। UN ने यह भी बताया कि उनके काम ने लाखों हरित रोजगार (Green Jobs) पैदा किए और करीब 12 मिलियन लोगों की जलवायु सहनशीलता को मजबूत बनाया।
सुप्रिया साहू की सबसे अहम पहलें
- 2000 में ‘ऑपरेशन ब्लू माउंटेन’ की शुरुआत: इस का लक्ष्य था, नीलगिरि से सिंगल-यूज प्लास्टिक खत्म करना, जब देश में इस मुद्दे पर बहुत कम चर्चा होती थी।
- तमिलनाडु ग्रीन क्लाइमेट कंपनी की स्थापना: ये संस्था तटीय इलाकों की सुरक्षा, जलवायु जोखिम कम करने और प्रकृति आधारित समाधान लागू करने पर काम करती है।
- कूल रूफ प्रोजेक्ट: उन्होंने 200 ग्रीन स्कूलों में कम लागत वाले कूल रूफ मॉडल लागू किए, जिससे गर्मी कम हुई और बच्चों के पढ़ने के माहौल में सुधार आया।
- 100 मिलियन पेड़ और 65 नए रिजर्व फॉरेस्ट: उनके नेतृत्व में राज्य ने बड़े पैमाने पर वनीकरण किया।मैंग्रोव कवर दुगुना हो गया और वेटलैंड 1 से बढ़कर 20 तक पहुंच गए।
- लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष: 60 मिलियन डॉलर की इस फंडिंग से दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा को नई दिशा मिली।
- चेन्नई में नेचर-फर्स्ट अर्बन प्लानिंग: उन्होंने शहरों में विकास का मॉडल ऐसा बनाया, जिसमें प्रकृति को केंद्र में रखा गया। जैसे वेटलैंड प्रोटेक्शन, हीट-रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर और जैव-विविधता आधारित प्लानिंग।

