सार
NEET PG Counselling 2025: NEET PG काउंसलिंग में अब पूरी पारदर्शिता देखने को मिलेगी। सभी मेडिकल कॉलेजों को फीस स्ट्रक्चर पहले से बताना होगा। वहीं कैंडिडेट ने यदि सीट ब्लॉक किया तो उन्हें अगले एग्जाम से डिस्क्वालिफाई कर दिया जाएगा।
NEET PG Counselling 2025 New Rules: अब NEET PG काउंसलिंग में पारदर्शिता और सख्ती दोनों देखने को मिलेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि काउंसलिंग शुरू होने से पहले देश की सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी पूरी फीस स्ट्रक्चर पब्लिक करना होगा। यह फैसला NEET PG 2025 की काउंसलिंग से जुड़े मामलों में ट्रांसपेरेंसी लाने के मकसद से लिया गया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि फीस छुपाकर छात्रों को गुमराह नहीं किया जा सकता। अब हर यूनिवर्सिटी को काउंसलिंग शुरू होने से पहले ही अपनी फीस वेबसाइट पर डालनी होगी ताकि छात्र सही फैसले ले सकें।
NEET PG काउंसलिंग के दौरान सीट ब्लॉक करने पर कड़ी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने NEET PG काउंसलिंग के दौरान सीट ब्लॉक करने वाले छात्रों के लिए भी बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि जो छात्र सीट लेकर बिना जॉइन किए उसे छोड़ देते हैं, उन पर पेनाल्टी लगाई जाए और साथ ही ऐसे छात्रों को अगले साल के NEET PG Exam में बैठने से भी डिस्क्वालिफाई कर दिया जाए। इस सख्ती का मकसद यह है कि काउंसलिंग में जो छात्र सच में सीरियस हैं, उन्हें मौका मिले और सीटों की बर्बादी न हो।
NEET PG काउंसलिंग में पारदर्शिता और सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश, जो NEET स्टूडेंट्स को जाननी चाहिए
- AIQ और राज्य स्तर की काउंसलिंग साथ-साथ चले– ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और सभी राज्यों की काउंसलिंग एक जैसे टाइमटेबल पर होनी चाहिए, ताकि पूरा प्रोसेस सही ढंग से और एकसमान तरीके से हो।
- फीस डिटेल्स पहले से सार्वजनिक हो– सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को काउंसलिंग शुरू होने से पहले अपनी पूरी फीस स्ट्रक्चर (ट्यूशन फीस, हॉस्टल, अन्य खर्च) की जानकारी देनी होगी।
- सेंट्रल लेवल पर फीस कंट्रोल सिस्टम बने– नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के तहत एक केंद्रीकृत फीस रेगुलेशन सिस्टम बनाया जाए, जो सभी कॉलेजों की फीस को कंट्रोल करे।
- राउंड-2 के बाद अपग्रेडेशन का विकल्प मिले– जिन स्टूडेंट्स को राउंड-2 में एडमिशन मिल गया है, उन्हें भी अगर बेहतर सीट मिले तो अपग्रेड करने का विकल्प मिलना चाहिए।
- रिजल्ट में पारदर्शिता हो– एग्जाम के बाद स्टूडेंट्स को उनका स्कोर, आंसर की और नॉर्मलाइजेशन का तरीका भी बताया जाए, ताकि सबकुछ साफ-साफ समझ में आ सके।
- सीट ब्लॉक करने वालों पर कड़ा एक्शन– अगर कोई जानबूझकर सीट ब्लॉक करता है, तो उसका सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त किया जाए या फिर अगले NEET PG से उसे बाहर कर दिया जाए।
- Aadhaar से सीट ट्रैकिंग हो– कोई स्टूडेंट एक से ज्यादा सीट न रोके, इसके लिए आधार-बेस्ड ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए।
- एक जैसा काउंसलिंग नियम लागू हो– सभी राज्यों और इंस्टीट्यूट्स के लिए एक यूनिफॉर्म गाइडलाइन बने, जिसमें सीट एलिजिबिलिटी, सीट विड्रॉल और अन्य जरूरी नियम शामिल हों।
- काउंसलिंग पर नजर रखने के लिए थर्ड पार्टी सिस्टम– NMC के तहत एक स्वतंत्र एजेंसी बनाई जाए जो हर साल काउंसलिंग डेटा की जांच (ऑडिट) करे और अनियमितताओं को पकड़े।
NEET PG Counselling 2025 पहले से ज्यादा क्लियर और फेयर होगी
इस फैसले से NEET PG 2025 की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को पहले से यह जानकारी हो सकेगी कि किस कॉलेज की कितनी फीस है और कौन-कौन से नियम काउंसलिंग में लागू होंगे। इससे NEET PG Counselling 2025 पहले से ज्यादा क्लियर और फेयर होगी। अब सभी मेडिकल कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समय से पहले अपनी फीस डिटेल्स ऑनलाइन डालें और काउंसलिंग में भाग लेने वाले छात्र सीट ब्लॉक कर किसी और का हक न छीनें।
NEET PG परीक्षा में पारदर्शिता को लेकर सितंबर 2024 में दायर हुई थीं याचिकाएं
NEET PG 2024 में पारदर्शिता को लेकर बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने चिंता जताई थी। इसी के चलते सितंबर 2024 में देशभर के मेडिकल एस्पिरेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और परीक्षा से जुड़े नियमों में बदलाव की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं।
क्या थीं NEET PG स्टूडेंट्स की प्रमुख मांगें?
स्टूडेंट्स की सबसे अहम मांग थी कि NBEMS (National Board of Examinations in Medical Sciences) को परीक्षा के बाद NEET PG के क्वेश्चन पेपर और कैंडिडेट्स की आंसर शीट्स सार्वजनिक करनी चाहिए। उनका कहना था कि इससे न सिर्फ पारदर्शिता बनी रहेगी बल्कि स्टूडेंट्स को अपने प्रदर्शन को बेहतर तरीके से समझने और अगली तैयारी में सुधार करने में मदद मिलेगी।
NEET PG स्टूडेंट्स की दूसरी बड़ी मांग- एक ही शिफ्ट में हो पूरी परीक्षा
छात्रों ने यह भी कहा कि NEET PG एग्जाम को दो अलग-अलग शिफ्ट में कराना फेयर नहीं है। इससे सभी कैंडिडेट्स को समान मौके नहीं मिलते क्योंकि हर शिफ्ट का क्वेश्चन पेपर अलग होता है और उसका डिफिकल्टी लेवल भी बदल सकता है।
क्या होता है NEET PG नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस?
जब किसी परीक्षा में कैंडिडेट्स की संख्या बहुत अधिक होती है, तो परीक्षा एक से अधिक शिफ्ट में कराई जाती है। हर शिफ्ट में अलग-अलग क्वेश्चन पेपर दिए जाते हैं। ऐसे में किसी शिफ्ट का पेपर मुश्किल होता है और किसी का आसान। इसके समाधान के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला अपनाया जाता है।
मान लीजिए NEET PG में तीन शिफ्ट थीं – A, B और C। शिफ्ट A वालों का औसत स्कोर 70 आया, शिफ्ट B का एवरेज स्कोर 75 रहा, जबकि शिफ्ट C का एवरेज स्कोर 80 निकला। इस डेटा के आधार पर माना जाता है कि शिफ्ट C का पेपर सबसे आसान और शिफ्ट A का सबसे मुश्किल था। ऐसे में शिफ्ट C के स्टूडेंट्स के कुछ मार्क्स घटाए जाते हैं और शिफ्ट A के स्टूडेंट्स को कुछ एक्स्ट्रा मार्क्स दिए जाते हैं, ताकि सभी को एक समान स्तर पर लाया जा सके। लेकिन स्टूडेंट्स का कहना है कि यह तरीका पूरी तरह फेयर नहीं है।
NEET PG 2024 में पहली बार हुआ था बदलाव
NEET PG पिछले साल यानी 2024 में पहली बार दो शिफ्ट में आयोजित किया गया था। परीक्षा 11 अगस्त को हुई थी, जिसमें पहली शिफ्ट सुबह 9:00 बजे से 12:30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3:30 बजे से शाम 7:00 बजे तक चली थी। यही बदलाव इस बार विवाद और याचिकाओं का कारण बना।
NEET PG 2024 के लिए कितनी सीटें और कितने कैंडिडेट्स?
हर साल देशभर के करीब 2 लाख MBBS ग्रेजुएट्स NEET PG परीक्षा में बैठते हैं ताकि उन्हें पोस्ट ग्रेजुएशन की 52,000 से ज्यादा सीटों पर एडमिशन मिल सके। इतने बड़े लेवल की परीक्षा में पारदर्शिता और समानता को लेकर स्टूडेंट्स की मांगों को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है।