Guru Purnima 2025: इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाया जा रहा है। गुरु सिर्फ क्लासरूम में पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं होते। वो कोई भी हो सकते हैं, जो आपके जीवन में सही वक्त पर सही राह दिखाएं, आपको टूटने से बचाएं और सपनों को दिशा दें। गुरु पूर्णिमा के खास अवसर पर जानिए 5 ऐसी रियल कहानियां, जहां एक स्टूडेंट की किस्मत उनके गुरु ने बदल दी। इनमें कुछ आम जिंदगी से हैं और कुछ देश-दुनिया के फेमस लोगों की कहानियां हैं, जिन्होंने अपने मेंटर को सफलता का असली कारण माना है।

1. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और उनके विज्ञान शिक्षक प्रो सिवसुब्रमण्यम

देश के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जब सिर्फ 10वीं कक्षा में थे, तब उनके साइंस टीचर ने रॉकेट और विमान की व्याख्या की थी। बाद में वही कल्पना भारत के मिसाइल प्रोजेक्ट्स में बदली। कलाम ने अपनी किताब "Wings of Fire" में लिखा "मेरे जीवन का पहला वैज्ञानिक बीज मेरे स्कूल टीचर ने बोया था।"

2. सचिन तेंदुलकर और कोच रमाकांत आचरेकर, जिन्होंने बल्ले से कराई पहचान

क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर के पहले और आजीवन कोच थे रमाकांत आचरेकर। उन्होंने न सिर्फ टेक्निकल स्किल्स सिखाईं, बल्कि हार न मानने की आदत डाली। वो हर मैच में बिना आउट हुए खेलने वाले सचिन को स्टंप्स के पीछे रखे सिक्के देते थे, जो आज भी उनके पास हैं।

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3. UPSC टॉपर दिव्या मिश्रा और उनकी हिंदी प्रोफेसर- जिन्होंने आत्मविश्वास भरा

प्रयागराज की दिव्या मिश्रा बिना कोचिंग UPSC में टॉप करने वाली छात्राओं में हैं। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उनके कॉलेज की प्रोफेसर रेखा मैम ने हर असफलता के बाद उनका हौसला बढ़ाया। दिव्या कहती हैं, मैम ने पढ़ाया कम और आत्मविश्वास ज्यादा दिया।

4. रितेश अग्रवाल (OYO Founder) और उनके इन्वेस्टमेंट गुरु- पीटर थिएल

OYO के संस्थापक रितेश अग्रवाल को अमेरिका के अरबपति और इन्वेस्टर Peter Thiel से Thiel Fellowship मिली। यह उनकी सोच में बड़ा बदलाव लेकर आया और उन्होंने भारत में बजट होटल की क्रांति ला दी। रितेश आज भी पीटर थिएल को अपना बौद्धिक गुरु मानते हैं।

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5. दीपिका कुमारी और कोच धर्मेंद्र तिवारी, जिन्होंने तीरंदाजी में ओलंपिक तक पहुंचाया

झारखंड के गरीब परिवार से आने वाली दीपिका को तीरंदाजी की ट्रेनिंग मुफ्त में दी गई। कोच तिवारी ने खाने, रहने से लेकर मेंटल ट्रेनिंग तक सब कुछ संभाला। आज दीपिका भारत की ओलंपिक प्रतिनिधि हैं और अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित हैं।