Loan Recovery Agent कर रहा है परेशान? ये 5 चीजें आपको बचाएंगी मुसीबत से
आजकल लोन लेना आम चलन है। पर लोन की किस्तें न चुका पाने की स्थिति में रिकवरी एजेंट्स बार—बार आपको परेशान करते हैं तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए क्या करें? आज हम आपको उन्हीं चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं।
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...जब लोन की किस्तें चुकानी हो जाएं मुश्किल
चाहे होम लोन हो, पर्सनल या कार लोन। आज हर दूसरा व्यक्ति EMI चुका रहा है। लेकिन जब इनकम में दिक्कत हो या कोई इमरजेंसी हो जाए, तो वक्त पर भुगतान कर पाना नामुमकिन लगने लगता है। और यहीं से शुरू होती है रिकवरी एजेंट्स की एंट्री।
रिकवरी एजेंट्स क्यों पड़ जाते हैं पीछे?
जब कोई उधारी चुकाने में देरी करता है, बैंक या NBFC रिकवरी एजेंट्स भेजते हैं ताकि बकाया वसूला जा सके। लेकिन कुछ एजेंट्स ज़रूरत से ज़्यादा "जज्बाती" हो जाते हैं। फोन पर चिल्लाना, बार-बार कॉल करना, या बिना बुलाए घर पर पहुंच जाना आम बात है।
ध्यान दें! हर दबाव बनाने वाला तरीका है गैर-कानूनी
RBI ने साफ तौर पर तय किया है कि सुबह 8 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद कोई भी एजेंट आपसे संपर्क नहीं कर सकता।
धमकी, गाली-गलौज, या डराने-धमकाने की कोई भी कोशिश अपराध है।
एजेंट सिर्फ रिकवरी की बात कर सकता है, आपकी निजी ज़िंदगी में दखल नहीं दे सकता।
शांत रहें, घबराएं नहीं – जानें अपने अधिकार
जब एजेंट बार-बार कॉल करें या घर पर आएं, तो सबसे पहले खुद को शांत रखें। डरने की ज़रूरत नहीं। उनके खिलाफ शिकायत करने का पूरा अधिकार आपके पास है। सबूत के तौर पर उसकी कॉल रिकॉर्ड करें। मैसेज और चैट्स का स्क्रीनशॉट लें।अगर हो सके तो वीडियो क्लिप भी बनाएं।
सबसे पहला स्टेप: बैंक में शिकायत दर्ज करें
रिकवरी एजेंट की बदसलूकी या गलत व्यवहार को लेकर तुरंत बैंक के कस्टमर केयर या ब्रांच में शिकायत दें। शिकायत में एजेंट का नाम (अगर पता हो), घटना की तारीख और समय, क्या कहा गया और किस तरीके से दबाव डाला गया। यह लिखित शिकायत बहुत काम आती है जब बात आगे बढ़ती है।
अगर धमकी मिली या दबाव बढ़ा, तो सीधे पुलिस स्टेशन जाइए
कोई भी व्यक्ति—even बैंक का एजेंट—अगर आपके घर आकर डराने या धमकाने की कोशिश करता है, तो यह सीधा आपराधिक मामला बनता है। नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करें। अपनी शिकायत की एक कॉपी रखें। वीडियो, ऑडियो, कॉल रिकॉर्ड—सबूत के रूप में दें। बैंक को भी इस एफआईआर की कॉपी भेजें ताकि वो भी मामले को गंभीरता से ले।
बैंक से खुलकर बात करें—छुपाएं नहीं अपनी परेशानी
अगर आप वाकई में किस्त नहीं चुका पा रहे हैं, तो चुपचाप रहना सही नहीं। बैंक मैनेजर से मिलें। अपनी फाइनेंशियल कंडीशन साफ-साफ बताएं। रिस्ट्रक्चरिंग, रीपेमेंट प्लान में बदलाव या छूट के विकल्प पूछें। बैंक्स कई बार नई EMI प्लान या छूट ऑफर करते हैं, लेकिन तब जब आप खुद पहल करें।
बैंकिंग लोकपाल तक जाएं
अगर बैंक आपकी शिकायत को नजरअंदाज कर दे या कोई कार्रवाई ना करे, तो आप RBI बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) के पास जा सकते हैं। RBI की वेबसाइट से फॉर्म भरें। मेल या पोस्ट के जरिए डिटेल्स भेजें। आपके पास बैंक की शिकायत की कॉपी होनी चाहिए। लोकपाल स्वतंत्र जांच करता है और ज़रूरत पड़ी तो बैंक पर जुर्माना भी लगा सकता है।
कोर्ट का सहारा भी लिया जा सकता है
अगर स्थिति बेहद गंभीर हो जाए—जैसे बार-बार उत्पीड़न, पब्लिक में बदनाम करना, या जान को खतरा—तो आप सीधे कोर्ट जा सकते हैं। आपके पास लीगल नोटिस भेजने, कंज्यूमर कोर्ट या सिविल कोर्ट में केस दर्ज करने का पूरा अधिकार है।