Indian Startups Waste Management : 5 भारतीय स्टार्टअप्स ने कचरे को करोड़ों के कारोबार में बदला। इन स्टार्टअप्स ने वेस्ट मटेरियल से प्रोडक्ट बनाकर न सिर्फ पर्यावरण को बचाया, बल्कि करोड़ों की कमाई भी कर रहे हैं।

World Environment Day 2025 : आज वर्ल्ड एनवायरमेंट डे है और अगर आपको भी ऐसा लगता है कि पर्यावरण बचाना सिर्फ पेड़ लगाना ही है तो जरा इन स्टार्टअप्स की कहानी जाननी चाहिए। इन लोगों ने कचरे को बिजनेस आइडिया में बदला और आज करोड़ों की कंपनी चला रहे हैं, वो भी बिना धरती को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए। मतलब कूड़ा अगर आइडिया के साथ जुड़ जाए, तो करोड़ों का बिजनेस बन जाता है। आइए जानते हैं इन स्टार्टअप्स के बारें में...

1. Phool.co: मंदिर के खराब फूलों से अगरबत्ती-परफ्यूम

कानपुर के इस स्टार्टअप की सालाना रेवेन्यू (FY23) 28.58 करोड़ है। भारत के मंदिरों से हर दिन टन के हिसाब से फूल कचरे में जाते हैं, जो नदियों में फेंक दिए जाते हैं। Phool.co ने यही फूल इकट्ठा करने शुरू किए और उनसे ईको-फ्रेंडली अगरबत्ती, परफ्यूम और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया। नतीजा 1 लाख किलो फूलों को लैंडफिल में जाने से रोका। हजारों महिलाओं को जॉब मिली और अब Tata और ITC जैसे ब्रांड्स भी इनसे पार्टनरशिप कर रहे हैं।

2. Bambrew: प्लास्टिक की बजाय बांस और जूट

Amazon और Flipkart जैसी कंपनियों को पैकेजिंग के लिए Sustainable ऑप्शन चाहिए था। Bambrew ने बांस, जूट और शुगरकेन फाइबर से बने पैकेजिंग प्रोडक्ट्स देकर मार्केट ही बदल दिया। नतीजा हर महीने 5 लाख किलो प्लास्टिक बचा रहे हैं, 50 से ज्यादा बड़ी कंपनियों के साथ B2B टाईअप और 2030 तक 1,000 करोड़ का टारगेट है। ये स्टार्टअप बेंगलुरु का है और इसकी सालाना रेवेन्यू (FY23) 44.23 करोड़ है।

3. Daily Dump: किचन वेस्ट से खाद बनाओ, गार्डन सजाओ

बेंगलुरु के इस स्टार्टअप की सालाना रेवेन्यू (FY22) 3.75 करोड़ है। इस स्टार्टअप ने लोगों को सिखाया कि घर पर ही किचन वेस्ट से कम्पोस्ट कैसे बनाएं। इन्होंने कम्पोस्टिंग किट्स और DIY बिन्स बनाए जो अब पूरे देश में बिक रहे हैं। आज 50,000 से ज्यादा फैमिलीज़ घर में ही वेस्ट प्रॉसेस कर रही हैं। 7,000 टन गीले कचरे को लैंडफिल में जाने से रोका है। इसके अलावा Urban Gardening ट्रेंड में मदद की।

4. ReCircle: प्लास्टिक दो, पैसे लो

मुंबई के इस स्टार्टअप की सालाना रेवेन्यू करीब 100 करोड़ है। इसने एक Digital Waste Collection नेटवर्क बनाया है, जहां आप अपना कचरा देकर रिवॉर्ड कमा सकते हैं। कंपनियां भी इनके प्लेटफॉर्म से वेस्ट खरीदती हैं और री-साइकल करती हैं। अब तक 10 लाख किलो से ज्यादा प्लास्टिक रीसायकल कर चुका है। Zero Waste City मॉडल पर काम कर रहे हैं। Coca-Cola और Unilever जैसे ब्रांड इनके क्लाइंट हैं।

5. Greensole: पुराने जूतों से बनते हैं स्कूल शूज

ग्रीनसोल पुराने फेंके जूतों को रियूज कर गरीब बच्चों के लिए स्कूल शूज का इंतजाम करता है। इससे कॉर्पोरेट गिफ्टिंग प्रोडक्ट्स भी बनाता है। स्टार्टअप अब तक 5 लाख से ज्यादा जूते री-साइकल कर चुका है। 400 से ज्यादा स्कूलों में सप्लाई कर चुका है। यूनाइटेड नेशन (UN) भी Sustainability Model के तौर पर तारीफ कर चुका है। इस स्टार्टअप की सालाना रेवेन्यू करीब 5 करोड़ रुपए है।