World Environment Day 2025: वर्ल्ड एनवायरमेंट डे 2025 पर हर किसी को जानना चाहिए कि किस तरह स्मार्टफोन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रोजाना इंटरनेट यूज़, चार्जिंग, क्लाउड स्टोरेज और वीडियो स्ट्रीमिंग से फोन 2-3 Kg तक CO₂ छोड़ सकते हैं।

Environment Day 2025 : सोचिए, आप सिर्फ फोन, सोशल मीडिया चलाकर ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जी हां, जब हम इंटरनेट यूज करते हैं, मोबाइल चार्ज करते हैं, वीडियो देखते हैं या चैटिंग करते हैं, तो हमारा फोन भी पर्यावरण पर असर डालता है। जर्नल Nature Sustainability के अनुसार, एक औसत स्मार्टफोन यूजर का डिजिटल कार्बन फुटप्रिंट 2 से 3 किलो CO₂ प्रति दिन हो सकता है। ये आंकड़ा तब और भी बढ़ता है जब हम वीडियो स्ट्रीमिंग, क्लाउड स्टोरेज या 5G का ज्यादा यूज करते हैं। आज वर्ल्ड एनवायरमेंट डे (World Environment Day 2025) है। इस मौके पर आइए जानते हैं कि स्मार्टफोन से निकलने वाले कार्बन को कंट्रोल करने के 5 तरीके...

1. वीडियो कॉल, रील्स और OTT से सबसे ज्यादा कार्बन

वीडियो स्ट्रीमिंग HD या 4K में सबसे ज्यादा एनर्जी यूज होती है। नेटफ्लिक्स, Youtube या Reels देखने में फुल मजा तो आता है, लेकिन इससे हर 1 घंटे में करीब 55-60 ग्राम तक CO₂ रिलीज होती है। इससे बचने के लिए SD क्वालिटी में वीडियो देखना चाहिए, Wi-Fi में ही स्ट्रीमिंग करें, मोबाइल डेटा से बचें और कोई भी वीडियो डाउनलोड करके ऑफलाइन देखें।

2. बार-बार चार्जिंग मतलब बिजली की खपत और ज्यादा CO₂

हर बार जब आप फोन चार्ज करते हैं, तो आप इनडायरेक्टली फॉसिल फ्यूल से बनी बिजली का यूज कर रहे होते हैं। अगर आप दिन में 2-3 बार चार्ज करते हैं, तो आपके फोन का सालाना कार्बन फुटप्रिंट 20 किलो से ज्यादा हो सकता है। इससे बचने के लिए रातभर (Overnight) चार्जिंग से बचें, बैटरी सेवर मोड यूज करें और ओरिजनल चार्जर और स्मार्ट प्लग का इस्तेमाल करें।

3. Cloud Storage : जितना डेटा, उतनी बिजली

Google Drive, iCloud, OneDrive जैसे क्लाउड स्टोरेज सिस्टम्स को कूलिंग और पावर की बहुत जरूरत होती है। आपके फोटो, वीडियो और डॉक्यूमेंट रखने वाले ये डेटा सेंटर सालाना 2% ग्लोबल CO₂ छोड़ते हैं। इसे कंट्रोल करने के लिए पुराने फोटोज और फाइल्स डिलीट करें, सिर्फ जरूरी डेटा ही क्लाउड पर रखें और लोकल स्टोरेज में बैकअप बनाएं।

4. फोन का बार-बार अपग्रेड मतलब e-Waste का बड़ा कारण

हर 1 नया स्मार्टफोन बनाने में करीब 70 किलो CO₂ रिलीज होती है। हर साल करोड़ों फोन फेंके जाते हैं, जिनमें से 80% रिसाइक्लिंग में नहीं जाते। इससे बचने के लिए कोशिश करें कि एक फोन कम से कम 3 साल तक यूज करें, फोन खराब होने पर बदलने की बजाय रिपेयर करवाएं, पुराने फोन को E-Waste बिन में डालें।

5. ग्रीन सर्च इंजन और इको-फ्रेंडली ऐप्स यूज करें

क्या आप जानते हैं, ऐसे सर्च इंजन हैं जो हर सर्च पर पेड़ लगाते हैं? Ecosia जैसे प्लेटफॉर्म गूगल जैसा ही काम करते हैं, लेकिन उनकी कमाई से पेड़ लगाए जाते हैं। आप Ecosia या Givero जैसे ग्रीन ब्राउज़र यूज करें, Ads और Auto-Play बंद रखें और App अपडेट सिर्फ Wi-Fi पर ही करें।