Amitabh Budholiya

amitabh.budholiya@asianetnews.in

    Amitabh Budholiya
    बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
      • All
      • 3406 NEWS
      • 579 PHOTOS
      • 20 VIDEOS
      • 223 WEBSTORIES
      4005 Stories by Amitabh Budholiya
      Asianet Image

      श्रीलंका को 'खा' गया ड्रैगन, संडे हो या मंडे 515 रुपए में मिल रहे उबले अंडे, कर्ज लेकर देश चलाने का नतीजा

      Apr 01 2022, 12:54 PM IST

      कोलंबो. करीब 22 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहां महंगाई 17.5 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है, जो एशिया में सबसे ज्यादा है। इस वजह से सारा देश हिंसक आंदोलन पर उतर आया है। इस समय श्रीलंका 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा है। यहां रहने वाले 5 लाख लोग गरीबी में फंस गए हैं। यहां का 70 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है। पिछले एक महीने में 45 प्रतिशत करेंसी गिरी है। बता दें कि इस समय एक डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपए की कीमत 292.50 पहुंच चुकी है। यहां 10 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है।  मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति(food inflation) को श्रीलंकाई ब्रेकफास्ट इंडेक्स पर मापा गया। यहां हर चीज  33-54% महंगी हो गई है। जैसे-चिकन करी कॉम्बो - 969 रुपए, उबले अंडे का कॉम्बो - 515 रुपए और टिन्ड फिश कॉम्बो - 866 रुपए में मिल रहा है। श्रीलंका चीन के अलावा भारत से भी कर्ज ले रहा है। लेकिन चीन उसे अपनी शर्तों पर सहायता मुहैया करा रहा है।

      Asianet Image

      The Kashmir Files के लिए चर्चाओं में बनी कश्मीर घाटी की रेत में मिला 9वीं सदी का ये दुर्लभ खजाना

      Apr 01 2022, 10:46 AM IST

      श्रीनगर. भगवान विष्णु की यह दुर्लभ मूर्ति(Ancient sculpture of Lord Vishnu) चर्चा का विषय बनी हुई है। ये प्राचीन मूर्ति जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के काकापोरा इलाके में बहती झेलम नदी में मिली है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि लेल्हारा काकापोरा क्षेत्र के झेलम नदी में रेत निकालने के दौरान कुछ मजदूरों को नदी से एक प्राचीन मूर्ति मिली। यह मूर्ति बुधवार को मिली थी, जिसे जम्मू और कश्मीर के अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय को सौंप दिया गया है। तीन सिर वाली यह मूर्ति 9वीं शताब्दी की मानी जा रही है। बताया जाता है कि झेलम नदी में कुछ मजदूर रेत निकालने का काम कर रहे थे, तभी उन्हें यह मूर्ति दिखाई दी। पढ़िए फिर आगे क्या हुआ...

      Top Stories