सोमवार को पहले रोहिणी नक्षत्र होने से प्रवर्ध और उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र होने से आनंद नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं।
28 मार्च, शनिवार से शुक्र अपनी ही राशि वृष में प्रवेश कर चुका है। शुक्र ग्रह इस राशि में 1 अगस्त तक रहेगा।
रविवार को पहले कृत्तिका नक्षत्र होने से ध्रूम नाम का अशुभ योग और इसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से धाता नाम का शुभ योग रहेगा।
हस्तरेखा में हथेली की रेखाओं के साथ ही उंगलियों और हथेली की बनावट का भी अध्ययन किया जाता है। अंगूठा भी स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई बातें बता सकता है।
शनिवार को पहले भरणी नक्षत्र होने से ध्वज और उसके बाद कृत्तिका नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं।
29 मार्च को गुरु ग्रह धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करेगा। इस राशि में पहले से ही शनि और मंगल स्थित है।
25 मार्च, बुधवार से विक्रम संवत 2077 शुरू हो चुका है। इसका नाम प्रमादी है। इससे पहले परिधावी नाम का संवत् था। इसके पहले सन् 1780, 1840, 1900 और 1960 में भी परिधावी संवत् था।
शुक्रवार को अश्विनी नक्षत्र होने से वज्र और उसके बाद भरणी नक्षत्र होने से मुग्दर नाम के 2 अशुभ योग बन रहे हैं। शुक्रवार को अश्विनी नक्षत्र होने से वज्र और उसके बाद भरणी नक्षत्र होने से मुग्दर नाम के 2 अशुभ योग बन रहे हैं।
14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास शुरू हो गया है। ये माह 14 अप्रैल तक रहेगा।
29 मार्च, रविवार को देवगुरु बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करेंगे। गुरु का ये राशि परिवर्तन सभी 12 राशियों के लिए खास रहने वाला है। मकर राशि में गुरु नीच का रहता है।