इस बार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) का पर्व 10 सितंबर, शुक्रवार को है। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। 10 दिनों तक रोज शुभ फलों की कामना से इनकी पूजा की जाती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरूआत होती है। विघ्नहर्ता श्रीगणेश का जन्म भाद्रपद चतुर्थी तिथि को दोपहर में हुआ था। इसलिए इस दिन की तिथि को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
कलाकार अरुण कुमार ने कहा, कोविड -19 के बाद हम पिछले दो सालों से बड़ी मुश्किल में अपना बिजनेस चला रहे हैं। गणेश चतुर्थी से पहले हम छोटी और सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं।
इस बार 2 से 12 सितंबर तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा।
गणेश पूजा में सबसे पहले गणेशजी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है।
कुछ ज्योतिषीय उपायों में वनस्पतियों जैसे- पौधों की जड़, टहनी व लकड़ी आदि का भी प्रयोग किया जाता है।
हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है अर्थात सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले श्रीगणेश की ही पूजा की जाती है। श्रीगणेश की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
रुद्राक्ष भगवान शंकर के स्वरूप से जुड़ा है। भगवान शंकर के उपासक इन्हें माला के रूप में पहनते हैं।
हिंदू धर्म में हाथी को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है। हाथी को भगवान श्रीगणेश का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है।