अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया है, जिससे तनाव बढ़ गया है। होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का खतरा मंडरा रहा है, जिसका असर भारत की तेल सप्लाई पर भी पड़ सकता है।

Israel Iran Conflict: इजरायल और ईरान के बीच चल रही लड़ाई का आज 10वां दिन है। इस जंग में अमेरिका कूद गया है। उसने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराए हैं। इसके साथ ही इस लड़ाई के अब अधिक फैलने का खतरा बढ़ गया है।

ईरान के शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमले का कड़ा जवाब दिया जाएगा। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक करीबी सहयोगी ने होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है।

दुनिया भर में तेल की सप्लाई के लिए अहम है होर्मुज जलडमरूमध्य

होर्मुज जलडमरूमध्य एक समुद्री मार्ग है। दुनिया की दैनिक तेल खपत का लगभग 20% (लगभग 18 मिलियन बैरल) इसके माध्यम से गुजरता है। ईरान ने कई बार जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है। उसने पहले ही कहा था कि अगर अमेरिका ने हमला किया तो इस रास्ते को बंद कर देंगे। अब जब अमेरिका ने अटैक कर दिया दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग के बंद होने की आशंका बढ़ गई है। इसका असर भारत पर भी होगा। तेल के मामले में भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। भारत के तेल आयात में मध्य पूर्व के देशों का बड़ा हिस्सा है। यह तेल होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते भारत आता है। यह रास्ता बंद हुआ तो भारत को तेल सप्लाई प्रभावित होगी। इससे कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी। इसका असर आने वाले दिनों में आम लोगों पर भी पड़ सकता है।

कहां है होर्मुज जलडमरूमध्य?

होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच स्थित है। यह सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और कुवैत जैसे खाड़ी के तेल व गैस उत्पादक देशों के लिए प्राथमिक निर्यात मार्ग के रूप में काम करता है। यह जलडमरूमध्य कभी बंद नहीं हुआ है। यह संकरा रास्ता है, जिसके चलते जहाजों पर हमला कर इसे बंद करना संभव है।

ईरान के लिए ढाल जैसा है होर्मुज जलडमरूमध्य

दशकों से ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी देकर इसे अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है। हालांकि उसने असल में कभी इसे बंद नहीं किया। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान, दोनों पक्ष तेल 'टैंकर युद्ध' में उलझ गए थे। तेहरान ने कुवैती और सऊदी टैंकरों को निशाना बनाया था। इसका जवाब इराक ने मिसाइल हमलों से दिया था।

अमेरिका ने ऑपरेशन अर्नेस्ट विल शुरू किया था और कुवैती टैंकरों पर नए झंडे लगाए थे। उन्हें अमेरिकी युद्धपोतों के साथ ले जाया गया। तेल युद्ध के कारण दुनिया भर में कीमतें बढ़ गईं थीं। बहुत नुकसान के बावजूद यह रास्ता खुला रहा।

करीब 14 साल पहले 2011 और 2012 में ईरान ने एक बार फिर अपने तेल निर्यात और बैंकिंग प्रणाली के खिलाफ यूरोपीय और अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी थी। तत्कालीन ईरानी उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा रहीमी ने चेतावनी दी थी कि अगर तेल प्रतिबंध लागू किए गए तो जलडमरूमध्य पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

इसपर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर शक्ति प्रदर्शन किया। इससे ईरान को स्पष्ट संदेश गया कि यदि होर्मुज जलडमरूमध्य को रोका गया तो कार्रवाई की जाएगी। इससे जलडमरूमध्य बंद नहीं किया गया।