सार

Clean Tech Grand Bargain: भारत और यूरोप को क्लीन टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाकर चीन की निर्भरता कम करनी चाहिए। जानें, कैसे 'Clean Tech Grand Bargain' दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

जानका ओर्टेल, निदेशक, एशिया प्रोग्राम; सीनियर पॉलिसी फेलो, यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन द्वारा: भारत और यूरोप के बीच व्यापार और तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए 'क्लीन टेक ग्रैंड बार्गेन' (Clean Tech Grand Bargain) की जरूरत महसूस की जा रही है। यूरोपीय संघ (European Union) और भारत के बीच व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) की हालिया बैठक ने इस दिशा में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

यूरोप की बढ़ती चुनौतियां

यूरोप इस समय कई भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिका की व्यापार नीतियों में बदलाव और चीन के बढ़ते प्रभाव ने यूरोप की आपूर्ति शृंखला को कमजोर कर दिया है। चीन की कंपनियां क्लीन टेक (Clean Tech) आपूर्ति शृंखला पर अपना दबदबा बना रही हैं, जिससे यूरोप की विनिर्माण शक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की वापसी और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की नीतियों के चलते यूरोपीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार भी सिकुड़ता जा रहा है।

भारत के लिए अवसर

भारत क्लीन एनर्जी (Clean Energy) और हरित प्रौद्योगिकी में तेजी से निवेश कर रहा है। 2024 में भारत में सौर ऊर्जा (Solar Energy) संयंत्रों की स्थापना दोगुनी हो गई और पवन ऊर्जा (Wind Energy) में भी 20% की वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन यूरोप की तुलना में अभी भी भारत के पास क्लीन टेक क्षेत्र में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। भारत का लक्ष्य कार्बन-न्यून औद्योगिकीकरण (Low-Carbon Industrialization) को बढ़ावा देना है और इसके लिए विश्वसनीय साझेदारों की जरूरत है।

साझेदारी से होगा फायदा

भारत और यूरोप को मिलकर सौर ऊर्जा, बैटरी निर्माण (Battery Manufacturing), अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind Energy) और रिसर्च एवं डेवलपमेंट में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। यूरोप इस क्षेत्र में एक बड़ा बाजार होगा, जबकि भारत एक प्रमुख उत्पादन केंद्र बन सकता है।

भारत और यूरोप के बीच सहयोग से वैश्विक आपूर्ति शृंखला में चीन की निर्भरता को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, यह सौदा दोनों देशों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और क्लीन टेक क्षेत्र में नए निवेश और रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

नोट: यह लेख कार्नेगी इंडिया के नौवें वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन की थीम 'संभावना' - प्रौद्योगिकी में अवसर - पर चर्चा करने वाली श्रृंखला का हिस्सा है। यह सम्मेलन 10-12 अप्रैल, 2025 को आयोजित किया जाएगा, जिसमें 11-12 अप्रैल को सार्वजनिक सत्र होंगे, जिसकी सह-मेजबानी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा की जाएगी। शिखर सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी और पंजीकरण के लिए, https://bit.ly/JoinGTS2025AN पर जाएं।