सार

छह सांसदों ने हाल ही में नियुक्त अटॉर्नी जनरल पामेला बॉंडी (US Attorney General Pamela Bondi) को लेटर लिखकर अडानी ग्रुप (Adani Group) पर लगे आरोपों को लेकर चिंता जताते हुए जांच की मांग की है।

PM Modi US visit: पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचने के पहले बिजनेस टाइकून गौतम अडानी के लिए राहत वाली सूचना आ रही है। अमेरिका के छह सांसदों ने अडानी मामले में हस्तक्षेप करते हुए लॉबिंग कर जांच पर आपत्ति जतायी है। सांसदों ने कहा कि भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप के अधिकारियों ने रिश्वत दी या पेशकश की तो यह मामला उनके देश को सौंपा जाना चाहिए था, इस पेशकश से अमेरिका के हितों का किसी तरह से कोई नुकसान नहीं था। यूएस लॉ मेकर्स ने कहा कि बिडेन प्रशासन का यह फैसला दोनों देशों के संबंधों के लिए सही नहीं है। छह सांसदों ने हाल ही में नियुक्त अटॉर्नी जनरल पामेला बॉंडी (US Attorney General Pamela Bondi) को लेटर लिखकर अडानी ग्रुप (Adani Group) पर लगे आरोपों को लेकर चिंता जताते हुए जांच की मांग की है। सांसदों ने जो बिडेन (Joe Biden) प्रशासन के न्याय विभाग (US Department of Justice - DoJ) द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाए हैं और कहा कि यह अमेरिका के घरेलू और ग्लोबल हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

अमेरिकी सांसदों का बिडेन एडमिनिस्ट्रेशन पर निशाना

अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि बिडेन प्रशासन ने भारत (India) जैसे करीबी सहयोगी के साथ संबंधों को खतरे में डालने वाले फैसले लिए। पत्र में कहा गया: कुछ मामलों में बिडेन प्रशासन ने अमेरिका के हितों के खिलाफ जाकर केस दर्ज किए या उन्हें वापस लिया जिससे भारत जैसे महत्वपूर्ण सहयोगियों के साथ संबंध प्रभावित हुए। पत्र में अडानी ग्रुप से जुड़े मामले का जिक्र करते हुए कहा गया कि अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की कथित तैयारी के आरोपों पर कार्रवाई की, जबकि यह मामला पूरी तरह से भारतीय क्षेत्राधिकार (Indian Jurisdiction) के अंतर्गत आता था।

अडानी ग्रुप ने रिश्वत दी तो इससे अमेरिका को कोई नुकसान नहीं

सांसदों ने आरोप लगाया कि बाइडेन प्रशासन ने भारतीय अधिकारियों पर कथित रिश्वत (Bribery Allegations) के मामले को भारतीय एजेंसियों को सौंपने के बजाय अडानी ग्रुप के अधिकारियों पर अमेरिका में मुकदमा (Indictment of Adani Executives) दर्ज कर दिया जबकि इस केस से अमेरिका के हितों को कोई सीधा नुकसान नहीं था। सांसदों ने कहा कि यह फैसला न केवल भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि यह दर्शाता है कि बिडेन प्रशासन ने कुछ बाहरी प्रभावों के चलते यह कार्रवाई की।

भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर चिंता

अमेरिकी सांसदों ने पत्र में कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र (Asia-Pacific Region) में अमेरिका का महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है। पत्र में यह भी कहा गया कि बिडेन प्रशासन के इस फैसले ने डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में वर्षों की मेहनत से बने मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को जोखिम में डाल दिया है।

चीन को मिलेगा फायदा?

सांसदों ने कहा कि राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित निर्णय अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर कर सकते हैं और इससे चीन (China) को सीधा फायदा होगा। उन्होंने लिखा: भारत के साथ अमेरिका के संबंधों में किसी भी प्रकार की गिरावट से चीन को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने और अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से वैश्विक नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिलेगी।

न्याय विभाग के रिकॉर्ड जांचने की मांग

अमेरिकी सांसदों ने नए अटॉर्नी जनरल पामेला बॉंडी (Pamela Bondi) से अनुरोध किया कि बिडेन प्रशासन के न्याय विभाग (DOJ) द्वारा लिए गए फैसलों की पुन: जांच की जाए और यह देखा जाए कि क्या पिछली सरकार किसी बाहरी प्रभाव में काम कर रही थी।

ट्रंप-मोदी की साझेदारी को बचाने की अपील

पत्र में यह भी कहा गया कि डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी (Trump-Modi Partnership) ने अमेरिका-भारत संबंधों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है और यह सुनिश्चित किया है कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए मूल्यवान सहयोगी बने रहें।

कौन-कौन हैं पत्र पर सिग्नेचर करने वाले सांसद?

इस पत्र पर छह अमेरिकी सांसदों के सिग्नेचर किए हैं:

  • लांस गुडेन (Lance Gooden)
  • पैट फालोन (Pat Fallon)
  • माइक हैरिडोपोलोस (Mike Haridopolos)
  • ब्रैंडन गिल (Brandon Gill)
  • विलियम आर. टिम्मन्स (William R Timmons)
  • ब्रायन बैबिन (Brian Babin)

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