अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया। नातान्ज, फोर्डो और इस्फहान साइटों को निशाना बनाया गया। इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका के शामिल होने से स्थिति और गंभीर हो गई है।
US strikes Iran: इजरायल और ईरान के बीच 10 दिन से चल रही लड़ाई (Israel Iran War) में रविवार को नया मोड़ आया। अमेरिका जंग में कूदा और ईरान के तीन परमाणु व सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमलों ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान साइटों को निशाना बनाया। ट्रंप ने हमले को "बहुत सफल" बताया। फोर्डो मुख्य टारगेट था। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA ने पुष्टि की कि रविवार तड़के तीनों परमाणु स्थलों पर हमले हुए।
13 जून को शुरू हुई थी इजरायल ईरान जंग
13 जून को इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाते हुए हवाई हमला किया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच लड़ाई शुरू हुई। इजरायल ने दावा किया कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब है। उसे रोकने के लिए हमला जरूरी था।
ईरान लंबे समय से कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। उसने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से हमला कर जवाब दिया। इसके बाद से दोनों देश एक-दूसरे पर हवाई हमला कर रहे हैं। अब अमेरिका ने ईरान के तीन ठिकानों पर हमला कर जंग का रुख बदल दिया है। आइए जानते हैं ये तीन जगह कौन से हैं और क्यों खास हैं।
नातान्ज संवर्धन सुविधा (Natanz enrichment facility)
नातान्ज संवर्धन सुविधा ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 220km दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यहां रेडियोएक्टिव मटेरियल यूरेनियम का संवर्धन किया जाता है। इससे यूरेनियम की शुद्धता बढ़ती है। परमाणु बम बनाने के लिए शुद्ध यूरेनियम की जरूरत होती है। नातान्ज के परमाणु ठिकाने पर इजरायल ने पहले अटैक किया था।
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (International Atomic Energy Agency) के अनुसार इजरायल के हमले से नातान्ज संयंत्र का ऊपरी हिस्सा नष्ट हुआ है। इससे पहले यहां यूरेनियम को 60% शुद्धता तक समृद्ध किया गया था। यह हल्का रेडियोधर्मी स्तर है, लेकिन हथियार स्तर से थोड़ा ही दूर है।
नातान्ज संवर्धन सुविधा ईरान के सेंट्रल पठार पर स्थित है। इसका एक हिस्सा संभावित हवाई हमलों से बचाव के लिए जमीन के नीचे है। यहां कई कैस्केड या सेंट्रीफ्यूज चलाए जाते हैं। इनकी मदद से यूरेनियम को समृद्ध किया जाता है। IAEA ने कहा है कि उसका मानना है कि इनमें से ज्यादातर या सभी सेंट्रीफ्यूज इजरायली हमले में नष्ट हो गए। इससे साइट की बिजली कट गई। इन हमलों से केवल साइट पर ही प्रदूषण हुआ, आसपास के क्षेत्र में नहीं।
ईरान ख-ए कोलांग गज एल या पिकैक्स माउंटेन में भी खुदाई कर रहा है। यह नतांज की दक्षिणी बाड़बंदी के ठीक बाहर है। नतांज को स्टक्सनेट वायरस ने निशाना बनाया है। इसके बारे में माना जाता है कि यह इजरायल और अमेरिका द्वारा बनाया गया है। इसने ईरानी सेंट्रीफ्यूज को नष्ट कर दिया।
फोर्डो संवर्धन सुविधा (Fordow enrichment facility)
ईरान का फोर्डो परमाणु संयंत्र तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहां भी यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज कैस्केड हैं, लेकिन यह नतांज जितना बड़ा नहीं है। IAEA के अनुसार, इसका निर्माण कम से कम 2007 में शुरू हुआ था। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था को इस सुविधा के बारे में 2009 में बताया था।
फोर्डो परमाणु संयंत्र को पहाड़ के नीचे बेहद गहराई में बनाया गया है ताकि हवाई हमले से बचाया जा सके। इसकी सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम तैनात हैं। फोर्डो को हवाई हमलों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार इसे सिर्फ "बंकर बस्टर" बमों द्वारा ही निशाना बनाया जा सकता है। अमेरिका का नया GBU-57 A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर बम इस तरह के काम के लिए बना है। 13,600kg यह बम बेहद सुरक्षित बंकरों और सुरंगों को भी तबाह कर देता है। अमेरिका ने अपने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर को इस बम को गिराने के लिए तैयार किया है।
इस्फहान न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी सेंटर
तेहरान से लगभग 350km दक्षिण-पूर्व में स्थित इस्फहान में हजारों परमाणु वैज्ञानिक काम करते हैं। यहां देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े तीन चीनी अनुसंधान रिएक्टर और प्रयोगशालाएं भी हैं।