सार
Ukraine-Russia War चौथे साल में दाखिल हो चुका है। अमेरिका की बदली रणनीति, Donald Trump के रुख और पुतिन (Vladimir Putin) की आर्थिक चुनौतियों के बीच ज़ेलेंस्की ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। क्या युद्ध के हालात बदलेंगे? 3 साल का क्या खोया-पाया रहा?
Ukraine Russia war: यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) के बीच चल रहा युद्ध चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। तीन सालों की लगातार चल रही जंग ने दोनों देशों की लाखों जिंदगियों को तबाह कर दिया। हजारों मारे जा चुके हैं। युद्ध की विभिषिका ने हर ओर तबाही के अवशेष ही छोड़े हैं। इन तीन सालों में मानवीय संवेदनाएं बिलखती रहीं, मानवता दम तोड़ता रहा। दोनों देशों की जर्जर होती अर्थव्यवस्थाओं ने भूख-बेबसी को बढ़ाया। अब तीन साल बाद आलम यह है कि हर ओर एक बेबसी सी है। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था (Ukraine Economy) पहले से सुस्त हो रही है, रूस का भी हाल कुछ जुदा नहीं है। सैनिक भी थक चुके हैं।
ट्रंप की नई नीति से यूक्रेन ही नहीं पश्चिमी देश भी खौफ में...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही यूक्रेन को लेकर नया रुख अपनाया। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को तानाशाह (Dictator) तक कह दिया। ट्रंप ने बताया कि ज़ेलेंस्की का कार्यकाल 2024 में समाप्त हो गया था,लेकिन उन्होंने अभी तक चुनाव नहीं कराए।
ट्रंप ने यूक्रेन को दिए गए अरबों डॉलर के सैन्य और आर्थिक सहायता के बदले कुछ मांगें रखी हैं। उन्होंने यूक्रेन से खनिज संपत्तियों (Mineral Resources) को लेकर एक समझौता करने की शर्त रखी है जिसके तहत अमेरिका को युद्धकालीन सहायता के बदले प्राकृतिक संसाधनों का अधिकार मिल सकता है। दूसरी ओर, यूक्रेन चाहता है कि इस सौदे में उसे दीर्घकालिक सुरक्षा गारंटी (Security Guarantee) भी मिले। उधर, ट्रंप प्रशासन ने रूस के साथ भी राजनयिक वार्ता शुरू कर दी है, लेकिन इन चर्चाओं में अभी तक यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है। ट्रंप के इस बदले हुए रूख से यूक्रेन ही नहीं पश्चिमी देश भी पशोपेश में हैं। दोनों महाशक्तियों के एक साथ आने से सबसे अधिक परेशान पश्चिमी मुल्क हो रहे हैं।
युद्ध का असर, रूस और यूक्रेन की अर्थव्यवस्थाएं हो रही खस्ताहाल
युद्ध का असर रूस और यूक्रेन दोनों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है। रूस में मुद्रास्फीति (Inflation) 9.5% तक पहुंच गई है, जबकि यूक्रेन में यह दर 12% हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, रूस की जीडीपी (Russia GDP) युद्ध के शुरुआती झटकों के बाद दो वर्षों तक 3.6% की दर से बढ़ी, लेकिन अब इसमें गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। रूस के आर्थिक मंत्री मैक्सिम रेशेतनिकोव (Maxim Reshetnikov) ने कहा कि विभिन्न उद्योगों में ऑर्डर में गिरावट आई है और आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हो रही है।
यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी दबाव में है। 2022 की गर्मियों में GDP में 36% की भारी गिरावट आई थी लेकिन 2023 में यह 5.3% और 2024 में 3% तक पहुंच गई। हालांकि, 2025 में इसके 2.7% पर सिमटने की संभावना है, जो विश्लेषकों की 3-4% की उम्मीद से कम है।
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यूक्रेन का बिजली बाजार (Electricity Market) और धातु भंडार (Metal Deposits) उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। 2024 की शुरुआत में ही बिजली का आयात 123 GWh से बढ़कर 183 GWh हो गया जबकि निर्यात 5 GWh से बढ़कर 85 GWh तक पहुंच गया। विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 10 वर्षों में यूक्रेन के पास 11 ट्रिलियन डॉलर की दुर्लभ धातुओं के भंडार हैं।
रूस इन वजहों से बर्बाद नहीं हुआ
रूसी अर्थव्यवस्था को पश्चिमी प्रतिबंधों (Western Sanctions) के बावजूद कुछ हद तक स्थिर बनाए रखा गया है क्योंकि उसने कच्चे तेल (Crude Oil), प्राकृतिक गैस (Natural Gas), निकेल (Nickel) और प्लेटिनम (Platinum) की अवैध बिक्री से धन जुटाया है।
युद्ध में अब तक का नुकसान
युद्ध में अब तक लाखों नागरिकों की जान जा चुकी है और 6 मिलियन से अधिक लोग शरणार्थी (Refugees) बन चुके हैं। सैन्य नुकसान को लेकर स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं, लेकिन पश्चिमी खुफिया रिपोर्टों के अनुसार दोनों ओर से लाखों सैनिक हताहत हुए हैं।
आगे की राह: क्या युद्ध खत्म होगा?
यूक्रेन और रूस दोनों अब आर्थिक दबाव में हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने रविवार को एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर उनके इस्तीफे से यूक्रेन में शांति आ सकती है तो वह पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर इसके बदले यूक्रेन को नाटो (NATO) की सदस्यता मिलती है तो वह तुरंत अपना पद छोड़ने को तैयार होंगे। ज़ेलेंस्की के इस्तीफे की पेशकश, ट्रंप की बदली रणनीति और रूस के साथ नई वार्ता संकेत दे रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में युद्ध के समीकरण बदल सकते हैं। अब यह देखना अहम होगा कि क्या ट्रंप की मध्यस्थता वास्तव में युद्ध को समाप्त कर पाएगी या यूक्रेन को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, रूस के लिए भी यह देखना होगा कि क्या वह आर्थिक गिरावट और सैन्य संघर्ष के बीच संतुलन बनाए रख पाएगा।
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