पाकिस्तान के साथ तुर्की ने फिर समर्थन जताया है। युद्धविराम के बीच तुर्की ने पाकिस्तान पर आगे हमले न करने की मांग की है। भारत-पाक तनाव के बीच तुर्की का यह रुख़ चिंताजनक है।
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर बहिष्कार की मांग तेज़ होने के बीच, भारत-पाकिस्तान तनाव में तुर्की ने फिर कहा कि वो पाकिस्तान के साथ है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने दोहराया कि तुर्की पहले भी पाकिस्तान पर मिसाइल हमलों की निंदा कर चुका है। तुर्की ने मांग की है कि मौजूदा युद्धविराम जारी रहे और पाकिस्तान पर आगे कोई हमला न हो। पहलगाम आतंकी हमले की उन्होंने पहले ही निंदा की थी। तुर्की का कहना है कि सिंधु नदी जल विवाद जैसे मुद्दों पर भी युद्धविराम के दौरान बातचीत होनी चाहिए।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की ने पाकिस्तान को समर्थन दिया था। भारतीय सेना ने पहले पुष्टि की थी कि पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन इस्तेमाल किए थे, उनमें तुर्की के ड्रोन भी शामिल थे। 8 मई को, जब हमला सबसे ज़्यादा हुआ था, 300 से 400 ड्रोन ने भारतीय सीमा का उल्लंघन किया था, इसकी पुष्टि कर्नल सोफिया कुरैशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी।
इनमें तुर्की की सेना के लिए एसिसगार्ड नाम की एक रक्षा कंपनी द्वारा बनाए गए सोंगर ड्रोन भी शामिल हैं। तुर्की की सेना 2020 से सोंगर का इस्तेमाल कर रही है, जो उनका पहला सशस्त्र ड्रोन सिस्टम है। घरेलू ज़रूरतों के अलावा, तुर्की युद्ध क्षेत्रों में भी सोंगर ड्रोन का इस्तेमाल करता है। यही ड्रोन पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था।
युद्धविराम के बाद पहली कैबिनेट बैठक
भारत-पाक युद्धविराम के बाद आज पहली कैबिनेट बैठक हुई। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को दिया गया जवाब भारत के लिए गर्व का क्षण है। आज की बैठक में सीमा पर हालात की समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की भी आज बैठक होगी। पहलगाम हमले के बाद इस कमेटी की यह तीसरी बैठक है।
भारत-पाक के डीजीएमओ के बीच 48 घंटे के अंदर फिर से बातचीत होने की उम्मीद है। बैठक में इस पर भी चर्चा होगी कि क्या रुख अपनाना है। अगले हफ्ते भारत, सबूतों के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग करेगा। इस पर भी आज कैबिनेट में चर्चा होगी।