सार
नासा एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और Crew-9 के अन्य सदस्य पृथ्वी पर लौट रहे हैं। जानिए, उनकी लैंडिंग से जुड़े संभावित खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में।
Sunita Williams return: भारतीय मूल की नासा (NASA) अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और उनके साथ Crew-9 मिशन के अन्य सदस्य बुधवार तड़के पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। अंतरिक्ष से पृथ्वी की यात्रा अपने आप में बेहद चुनौतीपूर्ण होती है और इसमें कई संभावित जोखिम जुड़े होते हैं।
Crew-9 की वापसी और संभावित खतरे
रीएंट्री के दौरान अगर कोई गड़बड़ी हुई तो...
अंतरिक्ष यान जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो अत्यधिक घर्षण के कारण बाहरी सतह का तापमान 1600°C से अधिक हो सकता है। अगर हीट शील्ड (Heat Shield) सही तरीके से काम नहीं करती तो इससे यान को नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से निकलने के बाद स्पेसक्रॉफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। इसे रीएंट्री कहते हैं। अंतरिक्ष में इसकी स्पीड कम से कम 28 हजार किमी प्रति घंटा रहता है लेकिन जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो इसकी स्पीड धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस दौरान अगर कैप्सूल का एंगल बिगड़ा तो खतरा बढ़ सकता। एंगल इधर-उधर हुआ तो घर्षण बढे़गा और फिर बाहरी टेंपरेचर 1500-1600 या अधिक होगा जिसका परिणाम यह होगा कि हीटशील्ड जल सकता। ऐसा हुआ तो कैप्सूल जल जाएगा और 9 महीना का इंतजार पलभर में भाप बन जाएगा। यानी सारी जिंदगियां भाप बन जाएंगी।
यही नहीं अगर कैप्सूल एंट्री करने में कोई गड़बड़ी करता है तो यह पृथ्वी के वायुमंडल में एंट्री की बजाय वापस अंतरिक्ष में चला जाएगा। फिर उसे खोजना और वापस लाने में काफी मशक्कत करना पड़ सकता है।
पैराशूट सिस्टम में खराबी
अंतरिक्ष यान के अंतिम लैंडिंग चरण में पैराशूट का सही तरीके से खुलना बहुत जरूरी होता है। किसी भी तकनीकी खराबी से यान की गति नियंत्रित नहीं होगी, जिससे क्रू के सदस्यों को खतरा हो सकता है। कैप्सूल में छह पैराशूट लगे हुए हैं। ये पैराशूट्स दो हिस्सों में खुलते हैं। पहले दो पैराशूट, रीएंट्री के बाद खुलते हैं। यानी वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद। इसके बाद दो पैराशूट तब खुलते हैं जब कैप्सूल पृथ्वी से करीब 5500 मीटर की ऊंचाई पर होता है। यह कैप्सूल को स्थिर रखने में सहायता करते हैं। मुख्य दो पैराशूट तब खुलते हैं जब कैप्सूल पृथ्वी से 1800 मीटर की ऊंचाई पर होता है और स्पीड 6 किमी प्रति घंटा होता है। अगर सही समय पर पैराशूट नहीं खुलते रहे तो न स्पीड नियंत्रित होगी न ही कैप्सूल और यह एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
स्प्लैशडाउन के दौरान हाई इम्पैक्ट
Crew-9 के अंतरिक्ष यात्री समुद्र में स्प्लैशडाउन (Splashdown) करेंगे। यदि लैंडिंग स्थल पर ऊंची लहरें या खराब मौसम होता है, तो यान के नियंत्रण में कठिनाई आ सकती है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों को झटके या चोट लगने का खतरा रहता है।
शारीरिक और मानसिक प्रभाव
करीब 6 महीने तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के बाद पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर आना, रक्त संचार में बदलाव और मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्पेसक्राफ्ट सिस्टम फेलियर
यात्रा के दौरान यदि Crew Dragon यान में कोई तकनीकी खराबी आती है, तो इससे संचार में दिक्कतें हो सकती हैं, जिससे मिशन कंट्रोल को क्रू की स्थिति का सही अंदाजा लगाने में परेशानी होगी।
NASA ने किए हैं विशेष इंतजाम
नासा और स्पेसएक्स (SpaceX) ने इन खतरों से बचने के लिए कई सुरक्षा उपाय किए हैं। Crew Dragon कैप्सूल के हीट शील्ड को कई बार परीक्षण किया गया है और इसमें इमरजेंसी एबॉर्ट सिस्टम (Emergency Abort System) भी शामिल है। स्प्लैशडाउन साइट पर रेस्क्यू टीम और मेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहेगा, जो क्रू को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगा।