सार

यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने NATO सदस्यता के लिए भावुक अपील की है, यहां तक कि इसके लिए राष्ट्रपति पद छोड़ने की भी बात कही है। रूस-यूक्रेन युद्ध में NATO की भूमिका और इसका इतिहास समझना ज़रूरी है।

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई अहम मोड़ पर है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) इसे खत्म कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए अमेरिका और रूस के बीच बातचीत चल रही है। दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) यूक्रेन को NATO का सदस्य बनाने की अपील कर रहे हैं।

अमेरिका और रूस के बीच होने वाली बैठक से पहले जेलेंस्की ने नाटो का हिस्सा बनने की एक और भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होता है तो उन्हें यूक्रेन के भीतर नाटो बनाना होगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जाता है तो वह राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार हैं।

क्या है NATO?

NATO (North Atlantic Treaty Organization) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका नेतृत्व अमेरिका करता है। 1949 में वाशिंगटन में इसकी स्थापना हुई थी। उस समय 12 देश बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूके और अमेरिका इसके सदस्य बने थे।

नाटो का मुख्य उद्देश्य पूर्व सोवियत संघ द्वारा यूरोप में विस्तार को रोकना था। इसके सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि यदि उनमें से किसी एक पर हमला होता है तो अन्य देश उसकी रक्षा करने में मदद करेंगे। नाटो के पास अपनी सेना नहीं है। इसके सदस्य देश संकटों के जवाब में सामूहिक सैन्य कार्रवाई करते हैं। नाटो के देशों की सेनाएं मिलकर काम करती हैं। नाटो के किसी एक देश पर हमला होता है तो सभी सदस्य देश मिलकर हमलावर को जवाब देते हैं।

कितने देश हैं NATO के सदस्य?

यूरोप और उत्तरी अमेरिका में नाटो के 32 सदस्य देश हैं। 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद कई पूर्वी यूरोपीय देश इसके सदस्य बने। इसके सदस्य देशों के नाम अल्बानिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेकिया, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मोंटेनेग्रो, नीदरलैंड, उत्तर मैसेडोनिया, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका हैं।

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नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है यूक्रेन?

यूक्रेन लंबे समय से नाटो का सदस्य बनने की कोशिश में है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह रूस का विरोध है। रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने की मुख्य वजहों में यूक्रेन द्वारा नाटो का सदस्य बनने की कोशिश प्रमुख है। रूस ने यूक्रेन के नाटो सदस्य बनने का विरोध किया है। उसे डर है कि इससे नाटो सेनाएं उसकी सीमाओं के बहुत करीब आ जाएंगी।

यूक्रेन रूस से खतरे को देखते हुए नाटो में शामिल होना चाहता है। अगर वह नाटो का सदस्य बना तो रूस द्वारा हमला किए जाने पर नाटो के सभी देश मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। दूसरी ओर यही वजह है कि नाटो के देश उसे अपने साथ नहीं ला रहे हैं। नाटो के देश सीधे रूस से लड़ने से बच रहे हैं।  

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यूक्रेन के नाटो सदस्य बनने से शुरू हो सकता तीसरा विश्वयुद्ध

यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाना अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए आसान नहीं है। यूक्रेन अगर नाटो का सदस्य देश बना और उसपर रूस ने हमला किया तो अमेरिका समेत नाटो के सदस्य देशों को रूस से सीधी लड़ाई करनी होगी। इससे तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो सकता है। रूस ऐसी हालत में परमाणु जंग शुरू कर देगा इसका खतरा है। अमेरिका में जब तक जो बाइडेन की सरकार रही यूक्रेन को रूस से लड़ने में पूरी मदद मिलती रही। अब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति हैं। वह रूस से बातचीत कर लड़ाई खत्म करने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में यूक्रेन का नाटो का सदस्य बनने का सपना निकट भविष्य में पूरा होता नहीं दिख रहा।