POK Roads Crisis: पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POK) में हाईवे 1985 से जर्जर हालात में, कोई सरकारी मदद नहीं। स्थानीयों ने बताया- सर्दियों में खुद हटाते हैं मलबा, सिस्टम नदारद।

POK Roads Crisis:पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) के लोगों के लिए सड़कों की हालत किसी दुर्घटना के न्यौते से कम नहीं। खासकर छत्तर क्रॉस से हंस चौकी के बीच का रास्ता, जो आधिकारिक रूप से मुख्य राजमार्ग (Main Highway in POK) माना जाता है, 1985 से आज तक किसी भी विकास कार्य को नहीं देख सका है।

वोट तो ले जाते हैं, लेकिन सड़क की सुध कोई नहीं लेता

स्थानीय निवासी खुलकर राजनीतिक धोखे पर सवाल उठा रहे हैं। एक बुजुर्ग नागरिक कहते हैं: 1985 से इस सड़क का नाम तक नहीं लिया गया। नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं और चुनाव जीतकर गायब हो जाते हैं। कोई अफसर, कोई मंत्री यहां झांकने तक नहीं आया।

कोहरे और भूस्खलन के बीच जान जोखिम में डालकर यात्रा

सर्दियों में जब कोहरा छा जाता है, तब यह टूटी सड़क जानलेवा बन जाती है। ना तो कोई सरकारी मशीनरी, ना ही कोई सड़क सुरक्षा इंतज़ाम। एक लोकल व्यक्ति ने बताया कि जब भूस्खलन होता है, तो हमें ही हाथों से मलबा हटाना पड़ता है। न कोई जेसीबी भेजता है, न मजदूर। हम ही सफाई करते हैं।

पाकिस्तान सरकार की बेपरवाही से बढ़ा अलगाव

ये मामला सिर्फ सड़क की बदहाली का नहीं बल्कि पूरे POK में पाकिस्तान सरकार की नाकामी का प्रतीक बन गया है। जहां एक ओर पाकिस्तान भारत पर कश्मीर को लेकर झूठा दावा करता है, वहीं दूसरी ओर POK में मूलभूत सुविधाओं का भी अकाल है।

विकास नहीं, सिर्फ वादे

यह लिंक रोड, जिसे आज मामूली मरम्मत दी जा रही है, करीब 40 सालों तक अनदेखी की मार झेलता रहा। स्थानीय लोग कहते हैं कि यह केवल एक लिंक रोड ही नहीं बल्कि उपेक्षा, गरीबी और शासन का अभाव POK की हालत का प्रतीक है। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बुरे हालात के इतर भारत के शासन में आने वाला कश्मीर तरक्की की नई सड़क पर कुलांचे मार रहा।