पीओके में 29 सितंबर को बड़ा लॉकडाउन, जनता का गुस्सा चरम पर। पब्लिक एक्शन कमेटी ने सरकार को चेताया, सेना ने फ्लैग मार्च कर तनाव बढ़ाया। सवाल यह है-क्या पाकिस्तान आंदोलन कुचलेगा या गुस्से की आग और भड़काएगा?
POK lockdown 2025: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके/पीओजेके) में हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। 29 सितंबर को यहां नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी ने बड़े लॉकडाउन का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना अलर्ट मोड में आ गई है। शनिवार को अधिकारियों ने पीओके के कई शहरों में फ्लैग मार्च किया, ताकि लोगों को डराया जा सके। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार जनता चुप बैठेगी या फिर पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें और बढ़ेंगी?
POK के नेता ने क्या कहा?
पीओके के नेता शौकत नवाज मीर ने साफ कहा है कि लोगों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। उनका कहना है कि यह आंदोलन सरकार की वर्षों से चल रही उपेक्षा, भ्रष्टाचार और ज्यादती का नतीजा है। यहां के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बुनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। ऐसे में जनता अब अपने हक की लड़ाई सड़क पर उतरकर लड़ने को तैयार है।
क्यों भड़का पीओके का गुस्सा?
पीओके के लोगों का गुस्सा कोई अचानक नहीं भड़का। सालों से यहां के नागरिक मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार संसाधनों को नेताओं और अफसरों की जेब भरने में खर्च कर रही है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी ने हालात और खराब कर दिए हैं। यही वजह है कि अब लोग कह रहे हैं- “अब बहुत हुआ।”
क्या पाकिस्तानी सेना कुचल देगी आंदोलन?
फ्लैग मार्च और बल प्रयोग की तैयारी से साफ है कि सरकार और सेना आंदोलन को ताकत से रोकना चाहती है। लेकिन इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर सेना ने बल प्रयोग किया तो पीओके में तनाव और हिंसा फैल सकती है।
पब्लिक एक्शन कमेटी क्या चाहती है?
- नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी की मांगें बहुत साफ हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं
- साफ पानी और बिजली
- भ्रष्टाचार पर रोक
- बुनियादी ढांचे का विकास
नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल और लॉकडाउन इन्हीं अधिकारों को पाने की लड़ाई है।
क्या बंद से ठप हो जाएगा पीओके?
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 29 सितंबर को बड़ा लॉकडाउन होने वाला है। पब्लिक एक्शन कमेटी ने भ्रष्टाचार और सरकारी उपेक्षा के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना फ्लैग मार्च कर माहौल में दहशत फैलाने की कोशिश कर रही है। 29 सितंबर को पूरे पीओके में दुकानें, बाजार और परिवहन पूरी तरह बंद रहने की संभावना है। वकीलों और स्थानीय संगठनों ने भी इस बंद का समर्थन किया है। इससे यह साफ हो रहा है कि जनता सरकार के खिलाफ एकजुट हो रही है।
क्या पाकिस्तान सरकार सुनेगी जनता की आवाज?
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान सरकार ने इस आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले दिनों में पीओके में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। यहां के लोग अब सरकार से सिर्फ एक ही बात कह रहे हैं-“हमारे अधिकार दो, दमन मत करो।”