सार

पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने से ना सिर्फ़ भारत बल्कि कई दूसरे देशों की एयरलाइंस को भी नुकसान हो रहा है। इससे पाकिस्तान को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। भारत सरकार नुकसान कम करने के उपायों पर विचार कर रही है।

पहलगाम हमले के बाद भारत के सख्त रुख को देखते हुए, भारतीय एयरलाइंस के लिए पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद कर दिया गया था। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि कई दूसरे देशों की एयरलाइंस भी पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इससे पाकिस्तान को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरने पर रोक लगने से भारतीय एयरलाइंस को नुकसान हो रहा है। अरब देशों और दूसरे देशों तक पहुँचने में विमानों को ज्यादा समय लग रहा है। वहीं, खबरें हैं कि कई बड़ी पश्चिमी एयरलाइंस अब खुद ही पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। पाकिस्तान एयरोस्पेस अथॉरिटी अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने वाली एयरलाइंस से ओवरफ्लाइट फीस वसूलती है। इससे हर महीने लाखों डॉलर की कमाई होती है। लेकिन विदेशी एयरलाइंस के इस फैसले से पाकिस्तान को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते पिछले दो दिनों में लुफ्थांसा, ब्रिटिश एयरवेज, स्विस, एयर फ्रांस, इटली की आईटीए, पोलैंड की लॉट समेत कई बड़ी यूरोपीय एयरलाइंस ने पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं किया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का एयरस्पेस इस्तेमाल न कर पाने से एयर इंडिया को हर साल 600 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है। लेकिन ओवरफ्लाइट फीस न मिलने से पाकिस्तान सिविल एविएशन अथॉरिटी को करोड़ों डॉलर का नुकसान हो सकता है। 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था। इससे पाकिस्तान को पांच महीनों में कम से कम 100 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। सेंटर फॉर एशिया-पैसिफिक एविएशन (CAPA) के मुताबिक, पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल न कर पाने से भारतीय एयरलाइंस को हर महीने 70-80 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।

इस बीच, खबरें हैं कि भारत सरकार पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने से भारतीय एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ने वाले असर को कम करने के उपायों पर विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि भारतीय सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने भारतीय एयरलाइंस के साथ बातचीत शुरू कर दी है ताकि नुकसान का आकलन किया जा सके और राहत के उपायों पर विचार किया जा सके। टैक्स में छूट और चीन के एयरस्पेस के करीब दूसरे रास्तों का इस्तेमाल जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।