सार
उत्तर कोरिया मिसाइल टेक्नोलॉजी में लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। नए साल में उसने एक के बाद एक लगातार तीन मिसाइल टेस्ट किए। शुक्रवार को उत्तर कोरिया ने तीसरा मिसाइल टेस्ट किया।
प्योंगयांग। तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) के नेतृत्व में उत्तर कोरिया (North Korea) मिसाइल टेक्नोलॉजी में लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है। नए साल में उसने एक के बाद एक लगातार तीन मिसाइल टेस्ट किए। शुक्रवार को उत्तर कोरिया ने तीसरा मिसाइल टेस्ट किया। ये हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल बताए गए।
उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए के अनुसार मिसाइल को रेलवे की पटरियों पर चलने वाले (Railway Borne) प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया गया। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने कहा है कि उत्तर कोरिया के नॉर्थ प्योंगयांग राज्य से दो कम दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल के लॉन्च का पता चला है। वहीं, केसीएनए के अधिकारियों ने कहा है कि रेल लाइन पर चलने वाली रेजिमेंट के दक्षता की जांच के लिए टेस्ट किया गया। पिछले साल सितंबर में उत्तर कोरिया ने ऐसा पहला टेस्ट किया था। इस रेजिमेंट को संभावित जवाबी हमले के लिए तैयार किया गया है।
अपनी ताकत बढ़ा रहा उत्तर कोरिया
शुक्रवार को जिन दो मिसाइलों का टेस्ट किया गया वे हाइपरसोनिक बताई जा रहीं हैं। ये मिसाइलें आवाज से कई गुणा तेज रफ्तार से अपने टारगेट की ओर बढ़ती हैं और उड़ान के दौरान अपनी दिशा भी बदल सकती हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से बचकर निकलने के लिए डिजाइन किया जाता है। अत्यधिक तेज रफ्तार इसे रोक पाना कठिन बना देती है।
शुक्रवार को उत्तर कोरिया ने जिन मिसाइलों को टेस्ट किया गया उन्हें रेल पटरियों पर चलने वाले लॉन्चर से दागा गया। इस तरह के प्लेटफॉर्म बेहद खास माने जाते हैं। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे देश सैटेलाइट या निगरानी के अन्य स्रोतों से उत्तर कोरिया के मिसाइल तैनाती वाले जगहों की लगातार निगरानी रखते हैं। इसका मकसद है कि परमाणु हमला करने में सक्षम मिसाइल के लॉन्च होने से पहले ही उसके बारे में पता लगा लेना। हमले की सूरत में ऐसे ठिकानों को पहले टारगेट किया जाता है जहां से मिसाइल फायर किए जा सकें।
रेल पटरियों पर चलने वाले लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म ऐसे में जवाबी हमला करने का मौका देते हैं। मिसाइल और लॉन्च पैड को रेलवे के डिब्बे का रूप दिया जाता है। इसे आम रेल गाड़ियों के बीच छिपाकर रखा जाता है और देशभर में कहीं भी भेजा जा सकता है। इस बात का पता लगाना बेहद कठिन होता है कि किस ट्रेन के साथ परमाणु मिसाइल ले जाया जा रहा है।
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