इजराइल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव से भारत की कूटनीति की परीक्षा। दोनों मित्र देशों के बीच संतुलन बनाए रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती।

Iran Israel War: मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव बहुत अधिक बढ़ा हुआ है। इजरायल और ईरान ने एक दूसरे पर मिसाइलों की बौछार की है। ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश में है। इजरायल इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। यही वजह है कि उसने शुक्रवार को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन नामक सैन्य अभियान में नातान्ज में स्थित मुख्य एनरिचमेंट फैसिलिटी समेत ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। जवाब में ईरान ने शनिवार को इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं।

भारत के लिए यह बेहद चुनौती पूर्ण स्थिति है। इजरायल और ईरान दोनों भारत के अच्छे मित्र हैं। इजरायल से भारत को अत्याधुनिक हथियार मिले हैं। दूसरी ओर ईरान पेट्रोलियम सप्लाई के लिए महत्वपूर्ण है। इसके चलते इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई भारत के लिए नाजुक कूटनीतिक चुनौती है। एक ओर इजरायल है, जिसके साथ भारत के रणनीतिक संबंध हैं। वह हमें एडवांस मिलिट्री टेक्नोलॉजी देता है। दूसरी ओर ईरान भारत के क्षेत्रीय संपर्क लक्ष्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने ईरान के साथ मिलकर चाबहार बंदरगाह बनाया है। इंटरनेशनल उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) पर काम चल रहा है।

इजरायल-ईरान जंग में क्या है भारत का स्टैंड?

भारत ने पारंपरिक रूप से अपनी विदेशी कूटनीति के आधार के रूप में गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया है। इस बार भी भारत सतर्कता से आगे बढ़ रहा है। भारत दोनों में से किसी का पक्ष नहीं ले रहा। शांति की अपील कर रहा है।

भारत ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया है, चाहे इसमें शामिल देश कोई भी हो। 2012 में जब नई दिल्ली में एक इजरायली राजनयिक की कार पर बम विस्फोट हुआ था तो भारत ने इसकी निंदा की थी। इसे "आतंकवादी हमला" बताया था। हालांकि, किसी देश का नाम नहीं लिया था। इसी तरह जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तो भारत ने इसकी निंदा की। भारत ने क्षेत्र में तनाव कम करने की अपील की।

क्या है भारत की कूटनीति का तरीका?

भारत की कूटनीति का तरीका शोर मचाने की जगह शांत तरीके से बातचीत करने पर आधारित है। जहां प्रमुख पश्चिमी ताकतें किसी एक देश का पक्ष लेते हैं या सार्वजनिक रूप से मध्यस्थता की पेशकश करते हैं। भारत पर्दे के पीछे बातचीत और बैकचैनल कूटनीति को प्राथमिकता देता है। भारत इजरायल और ईरान दोनों के साथ बातचीत करता है। किसी भी देश का पक्ष लिए बिना शांति स्थापित करने की कोशिश करता है।

भारत के लिए क्यों मायने रखता है ईरान?

ईरान और इजरायल की लड़ाई बढ़ती है तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा। यह भारत के आर्थिक, ऊर्जा और सामरिक हितों को नुकसान पहुंचाएगा। भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल आयात करता है। इसका अधिकतर हिस्सा मध्य पूर्व से आता है। इस इलाके में तनाव बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे भारत का खर्च बढ़ जाएगा। इससे भारत का चालू खाता घाटा बढ़ सकता है और महंगाई की नई लहर आ सकती है।

ईरान भारत के लिए पश्चिम एशिया और यूरोप तक का रास्ता देता है। ईरान चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से क्षेत्रीय संपर्क के लिए एक प्रमुख भागीदार बना हुआ है। लड़ाई इसे पटरी से उतार सकता है। इससे भारत की दीर्घकालिक क्षेत्रीय हितें प्रभावित होंगी। पश्चिम एशिया में 90 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी रहते हैं। इस इलाके में लड़ाई होने से उनकी सुरक्षा को खतरा है। भारत को रेमिटेंस के रूप में होने वाली आमदनी प्रभावित होगी।