नई दिल्ली। भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक सलमान रश्दी (Salman Rushdie) पर शुक्रवार को न्यूयार्क में हमला किया गया। मंच पर चाकू से किए गए वार से रश्दी गंभीर रूप से घायल हो गए। उनको एयर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया है। रश्दी के हमलावर को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। जाने माने लेखक सलमान रश्दी अपनी बेबाक लेखन के लिए दुनिया में पहचाने जाते हैं। उनकी लेखन की वजह से 1980 के दशक में ईरान को जान से मारने की धमकी मिली थी।
कब और कैसे हुआ हमला?
खबरों के मुताबिक, शुक्रवार को सलमान रश्दी, पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में एक कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए पहुंचे थे। वह मंचासीन अतिथियों के बीच में थे। उसी वक्त एक व्यक्ति ने हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि मंच पर अचानक से एक व्यक्ति ने सलमान रश्दी के मंच पर धावा बोल दिया। उसने परिचय कराने के दौरान उनपर घूसा चला दिया। जबतक कोई कुछ समझ पाता उसने चाकू से वार कर दिया। रश्दी के साथ मंच पर मौजूद एक अन्य व्यक्ति को भी चाकू लगी है। हालांकि, बीच बचाव कर लोगों ने किसी तरह उस व्यक्ति को पकड़ा और सलमान रश्दी को बचाया। उस व्यक्ति के हमले के बाद सुप्रसिद्ध लेखक जमीन पर गिर गए थे।
द सैटेनिक वर्सेज के लिए ईरान ने जारी किया था फतवा
सलमान रश्दी के उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ के लिए 1981 में ‘बुकर प्राइज’ और 1983 में ‘बेस्ट ऑफ द बुकर्स’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए। रुश्दी ने लेखक के तौर पर शुरुआत 1975 में अपनी पहली नॉवेल ‘ग्राइमस’ (Grimus) के साथ की थी। रुश्दी की किताब "द सैटेनिक वर्सेज" को ईरान में 1988 से प्रतिबंधित कर दिया था। माना जाता है कि इस किताब में सलमान रश्दी ने ईशनिंदा की थी। कई मुसलमान किताब में ईशनिंदा की बात मानते हैं। एक साल बाद, ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था जिसमें रश्दी की मौत का आह्वान किया गया था। रुश्दी को मारने वाले को 3 मिलियन डॉलर से अधिक का ईनाम भी देने की घोषणा की गई थी।
रश्दी पर फतवा राशि बढ़ाया गया
ईरान की सरकार ने लंबे समय से खुमैनी के फरमान से खुद को दूर कर लिया है, लेकिन रश्दी विरोधी भावना बनी रही। 2012 में, एक अर्ध-आधिकारिक ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रश्दी के लिए इनाम को 2.8 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर कर दिया।
रश्दी लगातार मुखर होकर अपनी बात कहते
रश्दी ने उस समय उस धमकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इनाम में लोगों की दिलचस्पी का कोई सबूत नहीं है। उस वर्ष, रश्दी ने फतवे के बारे में एक संस्मरण, "जोसेफ एंटोन" प्रकाशित किया।
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